Check Bounce Rule: आज के इस डिजिटल जमाने में अगर किसी को पेमेंट करनी होती है तो डिजिटली ही पे कर देता है. और जब अमाउंट अधिक होता है तो चेक के जरिए पेमेंट करना ज्यादा सेफ रहता है. बहुत से लोग तो अभी भी चेक के जरिए ही पेमेंट करते हैं. लेकिन बहुत बार होता है कि चेक बाउंस हो जाता है. चेक बाउंस होने से ग्राहक को पैसा नहीं मिलता है. अगर आप भी किसी को चेक के जरिए पेमेंट करते हैं तो चेक बाउंस से जुड़ा नियम आपके लिए जानना बहुत जरूरी हैं नहीं तो आपको जेल भी हो सकती है.
चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं. भारत में मूलतः: पहला कारण पैसे का होता है. बहुत से लोग जानबूझकर लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए यह तरीका अपनाते हैं. उनके जिस अकाउंट में पैसा नहीं होता उसी अकाउंट से वो चेक काटकर पेमेंट करते हैं और चेक बाउंस हो जाता है. कई बार चेक सिग्नेचर के मिस मैच होने से भी हो जाता है. इसलिए आप किसी को चेक के जरिए पेमेंट कर रहे हैं तो आपको बहुत सचेत रहने की जरूरत होती है.
अगर आप एक रिसीवर हैं यानी आपको किसी ने चेक के जरिए पेमेंट किया. आप चेक लेकर बैंक जाते हैं और चेक बाउंस हो जाता है तो बैंक एक चेक बाउंस होने का कारण बताता है और एक रिटर्न मेमो चेक जारीकर्ता को भेजता है. इसके साथ ही बैंक पेनाल्टी भी चार्ज करता है. इसके बाद एक महीने के अंदर दूसरा चेक देना होता है. अगर दूसरा चेक भी बाउंस हो जाए तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
अगर आपको किसी ने चेक दिया और पहली बार वो बाउंस हो गया. दूसरी बार भी चेक बाउंस हो गया तो आप उसे लीगल नोटिस भेज सकते हैं. नोटिस भेजने के 15 दिन बाद अगर रिप्लाई नहीं आता तो आप उस व्यक्ति के खिलाफ Negotiable Instrument Act 1881 Act सेक्शन 138 के तहत केस फाइल कर सकते हैं.
केस फाइल होने के बाद चेक जारीकर्ता को चेक की रकम का दोगुना जुर्माना लगाया जा सकता है. या फिर 2 साल की जेल हो सकती है. या दोनो हो सकता है.
अगर आप किसी को चेक जारी करते हैं तो हमेशा इन बातों का ध्यान रखें नहीं तो आप परेशानी में पड़ सकते हैं.