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'अनवैरिफाइड पोस्ट के आधार पर इन्वेस्ट न करें', SEBI ने धोखाधड़ी को लेकर जारी की चेतावनी

SEBI ने इन्वेस्टर्स को SME के प्रमोटरों की ओर से की जाने वाली धोखाधड़ी की गतिविधियों के बारे में चेतावनी दी है, जो मिसलिडिंग इन्फॉर्मेशन और कॉर्पोरेट कार्रवाइयों के जरिए आर्टिफिशियल तरीके से स्टॉक की कीमतों को बढ़ाते हैं, फिर अपने होल्डिंग्स को हाई रेट पर बेचते हैं, जिससे निवेशकों के पास बेकार शेयर रह जाते हैं. नियामक ने ऐसी गतिविधियों के लिए डेबॉक इंडस्ट्रीज के खिलाफ हाल ही में की गई कार्रवाइयों का जिक्र किया और सावधानी बरतने की अपील की.

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बाजार नियामक (Markets Regulator) सेबी ने बुधवार को इन्वेस्टर्स को स्मॉल और मिडियम इंटरप्राइजेज के क्षेत्र में बेईमान प्रमोटरों की बढ़ती संख्या के बारे में आगाह किया. ऐसे प्रमोटर अपनी कंपनियों को लिस्ट करने के बाद अपने बिजनेस के बारे में फर्जी तस्वीर पेश करने, इन्वेस्टर्स को लुभाने के लिए शेयर की कीमतों को बढ़ाने और फिर बाहर निकलने के लिए अवैध तरीकों का सहारा लेते हैं. सेबी ने इन्वेस्टर्स से कहा कि वे अनवैरिफाइड सोशल मीडिया पोस्ट, टिप्स और अफवाहों के आधार पर अपना पैसा न लगाएं.

एक प्रेस विज्ञप्ति में, नियामक ने कहा कि एसएमई ने 2012 में एसएमई शेयरों में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म लॉन्च किए जाने के बाद से 14,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं. कुल राशि में से 6,000 करोड़ रुपये अकेले वित्त वर्ष 2024 में जुटाए गए है. हाल ही में, NSE ने SME की ओर से IPO के लिए नियमों को कड़ा कर दिया था और कहा था कि 1 सितंबर से केवल पॉजिटिव फ्री कैश फ्लो वाली कंपनियां ही इसके प्लेटफॉर्म पर लिस्ट हो सकती हैं. फ्री कैश फ्लो से तात्पर्य उस कैश से है जो सभी कैपिटल और एक्सपेंसेज का पेमेंट करने के बाद बचती है.

SEBI ने पाया है कि लिस्टिंग के बाद कुछ SME या उनके प्रमोटर अपने ऑपरेशन की तस्वीर पेश करने के गलत तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन घोषणाओं के बाद आमतौर पर बोनस इश्यू, स्टॉक स्प्लिट और तरजीही आवंटन (Preferential Allotment) जैसी विभिन्न कॉर्पोरेट कार्रवाइयां की जाती हैं. ऐसी कार्रवाइयां इन्वेस्टर्स के बीच सकारात्मक भावना पैदा करती हैं, जो उन्हें ऐसी प्रतिभूतियों (Securities) को खरीदने के लिए प्रेरित करती हैं. साथ ही, ये प्रमोटरों को ऐसी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को ऊंचे दामों पर बेचने का आसान अवसर भी प्रदान करता है.

डेबॉक इंडस्ट्रीज और प्रमोटर्स समेत संस्थाओं के खिलाफ आदेश पारित

सेबी ने हाल ही में ऐसी संस्थाओं के खिलाफ आदेश पारित किए हैं. कहा गया कि ये देखा जा सकता है कि इन संस्थाओं की कार्यप्रणाली एक पैटर्न को फॉलो करती है जो मोटे तौर पर ऊपर बताए गए पैटर्न के समान है. इस सप्ताह की शुरुआत में, सेबी ने डेबॉक इंडस्ट्रीज नाम की एक SME यूनिट और प्रमोटरों समेत तीन संबंधित संस्थाओं के खिलाफ एक आदेश पारित किया. कंपनी जून 2018 में NSE के SME प्लेटफ़ॉर्म पर लिस्ट हुई और मार्च 2022 में मुख्य बोर्ड में ट्रांसफर हो गई.

इस मामले में, लिस्टिंग के बाद, प्रमोटरों ने बिजनेस और रेवेन्यू में तेज उछाल दिखाने के लिए बड़े पैमाने पर संबंधित-पक्ष लेनदेन का सहारा लिया. उसके बाद, ये मुख्य बोर्ड में ट्रांसफर हो गया और जल्द ही प्रमोटरों से संबंधित संस्थाओं को तरजीही आवंटन शुरू कर दिया. इसके तुरंत बाद इस आवंटन से शेयरों को ऑफ-मार्केट लेनदेन के माध्यम से प्रमोटरों को ट्रांसफर कर दिया गया और बाद में बाजार में बेच दिया गया. जब तक सेबी ने कंपनी की जांच शुरू की, तब तक प्रमोटरों ने 89.2 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमा लिया.