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Share Market: निवेशकों के हित में SEBI के इस बड़े फैसले से क्यों थर्राया शेयर बाजार

बुधवार को शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली. शेयर बाजार की इस जबरदस्त गिरावट के पीछे मार्केट रेग्युलेटर  (SEBI) का एक ऐसा फैसला था जो पूरी तरह से निवेशकों की भलाई के लिए था लेकिन इस फैसले से शेयर बाजार हांफने लगा.

Business News: शेयर बाजार में बुधवार को भारी गिरावट देखने को मिली थी. बुधवार को निफ्टी 1.11%, बैंक निफ्टी 1.34% और सेंसेक्स 1.08% गिरकर बंद हुआ.

शेयर बाजार की इस जबरदस्त गिरावट के पीछे मार्केट रेग्युलेटर  (SEBI) का एक ऐसा फैसला था जो पूरी तरह से निवेशकों की भलाई के लिए था लेकिन इस फैसले से शेयर बाजार हांफने लगा.

क्या था सेबी का आदेश

दरअसल, सेबी के आदेश पर म्यूचुअल फंड निकाय एएमएफआई (एम्फी) ने म्यूचुअल फंड ट्रस्टीज को पत्र लिखकर कहा था कि छोटे और मिडकैप शेयरों में तेजी को देखते हुए म्यूचुअल फंड को इन योजनाओं में निवेशकों की सुरक्षा के लिए एक नीति बनानी चाहिए.

एम्फी ने सिफारिश की कि अन्य बातों के अलावा म्यूचुअल फंडों को इन योजनाओं में निवेश कम करना चाहिए और पोर्टफोलियो को भी दोबारा संतुलित करना चाहिए.

एम्फी ने कहा कि कहा कि स्मॉल और मिडकैप शेयरों में तेजी को देखते हुए लोग  इनमें निवेश के लिए आकर्षित हो रहे हैं, निवेशकों को इन स्कीम्स से बचाने के लिए म्यूचुअल फंडों को एक पॉलिसी तैयार करनी चाहिए.

इस फैसले से क्यों गिरा बाजार
सेबी के इस फैसले का सीधा मतलब है कि स्मॉल कैप और मिड कैप शेयरों में निवेश कम हो जाएगा. यानी मिड और स्मॉल स्कीम में नई फंडिंग सीमित हो जाएगी. अब तक इन स्कीम्स में लगातार पैसा आ रहा था जिसकी वजह से स्मॉल और मिड कैप कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखने को मिल रही थी.

उदाहरण के तौर पर 2023 में मिडकैप म्यूचुअल फंड स्कीम्स में 22,913 करोड़ रुपए का निवेश हुआ,  स्मॉलकैप स्कीम में 41,035 करोड़ का निवेश हुआ जबकि लार्जकैप स्कीम से 2,968 करोड़ रुपए की निकासी हुई.

SEBI ने निवेशकों के हित में लिया फैसला
दरअसल, पिछले कुछ महीनों से स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में जबरदस्त तेजी देखने को मिल रही थी. सेबी का मानना है कि इस तेजी को देखकर छोटे निवेशक बिना फंटामेंटल्स और टेक्निकल को जाने स्मॉल और मिडकैप स्कीम्स में पैसा लगाने के लिए आकर्षित हो रहे हैं या हो सकते हैं. ऐसे में अगर इन शेयरों में गिरावट आई तो उन्हें भारी नुकसान हो सकता है. निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सेबी ने यह फैसला किया है.