भविष्य को बचाओ! अगर अब भी नहीं दिया ध्यान तो अगले 7 साल में हर सेकंड में पैदा होने वाले एक बच्चे का होगा ये हाल

Save the Children: संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में लगभग 22 मिलियन बच्चों का विकास रुक सकता है.

Gyanendra Tiwari

Save the Children: तकनीकी स्तर पर हम विकसित तो हो रहे हैं लेकिन मानवता के स्तर पर अभी भी हम बहुत पीछे हैं. इस पृथ्वी पर रह रहे लोगों को तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में एक गैर लाभकारी अंतरराष्ट्रीय 'सेव द चिल्ड्रन' ने अपने विश्लेषण में पाया कि वैश्विक स्तर पर कुपोषण से लड़ने के लिए तेजी के साथ ठोस कदम न उठाए जानें से 2030 तक पैदा होने वाले लगभग 194 मिलियन बच्चों को विकास बाधित हो सकता है. वो कुपोषण के शिकार हो सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर कुपोषण को लेकर इसी स्पीड से हम आगे बढ़ते रहे तो आने वाले 7 सालों तक हर सेकेंड एक बच्चा कुपोषण का शिकार होगा. उसका शारीरिक एवं मानसिक विकास नहीं हो पाएंगे.

अगले सप्ताह होने वाली सतत विकास लक्ष्य सम्मेलन (Sustainable Development Goals) को लेकर सेव द चिल्ड्रेन ने वैश्विक नेताओं से अपील की है कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें तुरंत प्रभाव से अपनी गति बढ़ानी होगी.

सब सहारन अफ्रीका के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. रिपोर्ट के अनुसार 2023 से 2030 के बीच इस रीजन में जन्म लेने वाले 86 मिलियन नवजातों का विकास रुक जाएगा. इसी तरह दक्षिण एशिया में करीब 67 मिलियन बच्चों के अल्प विकसित (जैसे बौनापन, अपनी उम्र से कम शारीरिक विकास न होना) रहने की संभावना है.

संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में लगभग 22 मिलियन बच्चों का विकास रुक सकता है. वहीं मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में 9.6 मिलियन मामले हैं, और लैटिन और मध्य अमेरिका में 6.7 मिलियन बच्चों के विकसित विकास का अनुमान है.

हमारा पड़ोसी पाकिस्तान और लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो उन शीर्ष चार देशों में शामिल है जहां आने वाले सात सालों में बच्चों के विकास न होने के सबसे ज्यादा मामले आने की उम्मीद है. इन देशों की लगभग 25 फीसदी आबादी भूख के संकट का सामना कर रही है.

ये आंकड़े गरीबी और अल्पविकसित को भी कहीं न कहीं जोड़ रहे हैं. दुनिया में जितने केस आने की उम्मीद है उनका 40 फीसदी हिस्सा बेहद गरीब घरानों से संबंध रखते हैं.

साल 2000 के बाद से इसमें लगातार गिरावट देखी गई है. सेव द चिल्ड्रेन की रिपोर्ट के मुताबिक कुपोषण के 100 मिलियन केसेस को 2025 तक 20230 तक खत्म करने के लक्ष्य की प्रगति इंटरनेशनल लेवल बह धीमी हो गई है.

बाल अधिकार संगठन ने  राष्ट्रों से आग्रह किया है कि कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए  समुदाय-आधारित उपचार, स्तनपान का समर्थन और संरक्षण, और सामुदायिक और प्राथमिक स्तर की स्वास्थ्य देखभाल में निवेश जैसे कम लागत वाले कामों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि कुपोषण की समस्या को कम कर सकें.

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