Samagra Shiksha Scheme: समग्र शिक्षा योजना, जिसे केंद्रीय बजट 2018-19 में शुरू किया गया था, शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह योजना स्कूली शिक्षा को एक सतत प्रक्रिया के रूप में मानती है और यह शिक्षा के सतत विकास लक्ष्य (SDG-4) के अनुरूप है.
योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चों को समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, जिसमें उनकी विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी आवश्यकताओं और शैक्षिक क्षमताओं का ध्यान रखा जाए.
समग्र शिक्षा योजना का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की सिफारिशों को लागू करना और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करना है. इसके तहत, शैक्षिक परिवेश में एकीकृत, समावेशी और गतिविधि आधारित पाठ्यक्रम को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके अलावा, बच्चों के सीखने के परिणामों को सुधारने के लिए गुणवत्ता पर जोर दिया जाएगा. योजना के अंतर्गत स्कूली शिक्षा में सामाजिक और लैंगिक अंतर को पाटने की दिशा में भी कदम उठाए जाएंगे.
सरकार के अनुसार, इस योजना के अंतर्गत 1.16 मिलियन स्कूल, 156 मिलियन से अधिक छात्र और 5.7 मिलियन शिक्षक शामिल हैं. इससे सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों के लिए समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का माहौल तैयार होगा.
यह योजना राज्य/संघ राज्य क्षेत्र स्तर पर एकल राज्य कार्यान्वयन सोसायटी (SIS) के माध्यम से लागू की जाएगी. राष्ट्रीय स्तर पर, शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक शासी परिषद होगी, जबकि परियोजना अनुमोदन बोर्ड (PAB) शिक्षा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में कार्य करेगा. फंड शेयरिंग पैटर्न में, विशेष राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 90:10 का अनुपात निर्धारित किया गया है, जबकि अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए यह अनुपात 60:40 होगा.
केंद्रीय बजट 2025 में समग्र शिक्षा योजना के लिए ₹41,250 करोड़ का आवंटन किया गया है. यह पिछले वर्ष के ₹37,010 करोड़ से अधिक है, जो शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट करता है.
समग्र शिक्षा योजना भारत के शिक्षा क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल गुणवत्ता बढ़ाने बल्कि बच्चों को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में भी कारगर सिद्ध होगी.