Ration card Address Proof: एड्रेस प्रूफ में अब नहीं चलेगा राशन कार्ड, जान लीजिए दिल्ली हाईकोर्ट बड़ा फैसला
Ration card Address Proof: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली की कठपुतली कॉलोनी में पुर्नवास के एक मामले को लेकर सुनवाई करते समय ये अहम टिप्पणी की है. साथ ही सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं.

Ration card Address Proof: राशन कार्ड अब एड्रेस प्रूफ के लिए नहीं चलेगा. चौंकिए नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि राशन कार्ड सरकारी दुकानों से जरूरी सामान लेने के लिए खासतौर पर जारी किया जाता है. इसे पते या निवास प्रमाण पत्र के रूप में नहीं माना जा सकता है.
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की एकल न्यायाधीश पीठ ने दिल्ली की कठपुतली कॉलोनी के कुछ पूर्व निवासियों की ओर से क्षेत्र के पुनर्विकास के बाद पुनर्वास योजना के तहत वैकल्पिक आवास की मांग करने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
कोर्ट ने इस मामले में की है टिप्पणी
याचिकाकर्ताओं में से एक का दावा खारिज किया गया है, क्योंकि वह एक अलग राशन कार्ड पेश करने में विफल रहा था, ये इलाका दिल्ली स्लम, जेजे पुनर्वास और स्थानांतरण नीति 2015 के अनुसार वैकल्पिक आवंटन करने के लिए अनिवार्य था.
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने अपने 29 फरवरी के आदेश में कहा कि राशन कार्ड की परिभाषा के अनुसार, इसे जारी करने का उद्देश्य उचित मूल्य की दुकानों से जरूरी सामान को बांटने के लिए करना है. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि राशन कार्ड का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इस देश के नागरिकों को उचित मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाए.
कोर्ट ने 2015 की पुर्नवास नीति पर भी उठाए सवाल
कोर्ट ने उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से जारी 20 मार्च 2015 की राजपत्र अधिसूचना का भी हवाला दिया, जो पहचान या निवास के प्रमाण के दस्तावेज के रूप में राशन कार्ड को इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देता है. न्यायमूर्ति ने कहा कि राजपत्र के मद्देनजर 2015 की पुनर्वास नीति में गलत तरीके से यह अनिवार्य किया गया था कि झुग्गी की पहली मंजिल पर रहने वालों के पास एक अलग राशन कार्ड होगा.
राशन कार्ड से सही पते की भी नहीं हो सकती पहचान
हाईकोर्ट ने कहा कि इसके अलावा राशन कार्ड जारी करने वाले प्राधिकारी की ओर से यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र नहीं है कि राशन कार्ड धारक राशन कार्ड में दिए पते पर रह रहा है या फिर नहीं? कोर्ट ने आगे कहा कि दिल्ली में 2011 की जनगणना के अनुसार पात्र परिवारों की राज्य-वार संख्या की सीमा खत्म होने के कारण नए राशन कार्ड जारी नहीं किए जा रहे थे.
इसके बाद हाईकोर्ट ने माना कि केवल राशन कार्ड जारी न करना याचिकाकर्ताओं को वैकल्पिक आवंटन से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है. डीडीए को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. समस्याओं को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए.