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भारतीय सेना ने इस तरह बचाई थी मालदीव में तख्तापलट, नए नवेले राष्ट्रपति चीन मोह में भुल गए पुराने दिन

Indian Army In Maldives : मालदीव में हाल ही में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए हैं जिसमें मोहम्मद मुइज्जू निर्वाचित हुए हैं. वो लगातार भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर करने की बात कर रहे हैं. जिस तरीके से मुइज्जू अपने बातों को कह रहे हैं इससे तो साफ है कि आने वाले समय में जरूर कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है.

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Edited By: Suraj Tiwari
भारतीय सेना ने इस तरह बचाई थी मालदीव में तख्तापलट, नए नवेले राष्ट्रपति चीन मोह में भुल गए पुराने दिन

Indian Army In Maldives : मालदीव में हाल ही में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए हैं जिसमें मोहम्मद मुइज्जू निर्वाचित हुए हैं. वो लगातार भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर करने की बात कर रहे हैं. जिस तरीके से मुइज्जू अपने बातों को कह रहे हैं इससे तो साफ है कि आने वाले समय में जरूर कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है. इसके पीछे का कारण चीन को बताया जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि मुइज्जू की चीन से नजदीकी भारत के मुकाबले ज्यादा देखने को मिल रही है. जिस वजह से भारतीय सैनिको को लेकर ऐसी बातें हो रही हैं.

भारतीय सेना का मालदीव में कार्य

मालदीव में इस समय लगभग 75 भारतीय सैनिक मौजूद है. जो मुख्य रूप से मालदीप में हिंद महासागर की निगरानी करते हैं साथ ही देश में राहत और बचाव कार्य, मेडिकल सहायता आदि पहुंचाने का कार्य करती है. वहीं कुछ समय पहले भारतीय नौसेना ने अपना डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टर यहां तैनात किए थे.

मालदीव ऐसे पहुंची थी भारतीय सेना

सामरिक दृष्टिकोण से हिंद महासागर में स्थित इस द्वीपीय देश मालदीव भारत और चीन दोनों के लिए काफी अहम है. इसी वजह से दोनों देश अपनी स्थिति यहां मजबूत रखना चाहते हैं. वहीं 1988 में मालदीव में तख्तापलट की कोशिश हुई थी. तब उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम ने भारत से सैन्य सहायता मांगी थी जिसके बाद भारतीय सेना बिना देर किए मालदीव मदद के लिए पहुंची थी.

उस समय मालदीव आंतरिक कलह से जूझ रहा था. मालदीप के व्यापारी अब्दुल्ला लुथूफी और उनके साथी सिक्का अहमद इस्माइल मानिक गयूम सरकार को हटाकर तख्तापटल करने की साजिश रच रहे थे. उसी समय गयूम भारत की यात्रा पर आने वाले थे उसी दौरान मालदीव में बगावत हो गई. बगावत करने वाले लुथूफी और सिक्का श्रीलंकाई चरमपंथी संगठन 'प्लोट' (पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम) के लड़ाकों के सहारे मालदीव पर अपना अधिकार चाहते थे. लेकिन समय रहते ही गयूम ने उस समय के तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी से सैन्य सहायता मांगी थी. 

सेना ने बचाया था मालदीव में होने वाला तख्तापलट

समय और परिस्थितियों के हिसाब से राजीव सरकार के आदेश पर तुंरत भारतीय सेना की एक टुकड़ी हवाई जहाज से मालदीव के हुलहुले हवाई अड्डे पहुंच गई. जिसके बाद भारतीय सेना ने स्थिति पर समय रहते ही स्थितियों पर काबू पाते हुए गयूम को विद्रोहियों से बचाया था. जिसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध घनिष्ठ ही रही हैं. वर्तमान समय में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्जू की चीन से बढ़ती नजदीकी भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर करना चाहती है.

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