GST Council Meet: 2 हजार से कम की ट्रांजैक्शन पर 18% जीएसटी लागने पर नहीं हुआ फैसला, फिटमेंट कमेटी अब करेगी समीक्षा
GST Council Meet: जीएसटी काउंसिल ने 2 हजार रुयपे से कम के ट्रांजैक्शन पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने के फैसले को लागू नहीं किया. इसे समीक्षा के लिए फिटमेंट कमेटी के पास भेजा गया है. कमेटी अध्ययन करके इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी. इसके बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा.
GST Council Meet: जीएसटी काउंसिल की बैठक में ये फैसला नहीं हो सका है कि 2 हजरा रुपये से कम की लेने देन में होने वाली आय पर पेमेंट एग्रीगेटर 18 फीसदी जीएसटी लगाई जाए. इसकी समीक्षा करने के लिए इसी जीएसटी फिटमेंट कमेटी के पास भेजा गया है.
उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि इस मामले को आगे की समीक्षा के लिए जीएसटी फिटमेंट समिति को भेजा जाएगा, जिससे ग्राहकों की छोटे ऑनलाइन भुगतान करने की क्षमता प्रभावित होगी.
अभी मिलती रहेगी पेमेंट एग्रगेटर को राहत
पेमेंट एग्रीगेटर के जरिए एक ग्राहक और दुकानदार के बीच लेने देन आसान होता है. एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म व्यापारियों और कस्टमर्स के बीच इंटरमीडिएट का काम करते हैं. ये प्लेटफॉर्म रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमों के तहत संचालित होते हैं. ये दुकानदारों या फिर छोटे प्यापारियों को डिजिटल पेमेंट की प्रक्रिया को आसान बनाने का काम करते हैं. पाइनलैब्स या फिर रेजरपे जैसे प्लेटफॉर्म इसके उदाहारण हैं.
फिटमेंट समिति अब ऐसा कदम उठाए जाने पर संभावित प्रभावों और परिणामों का अध्ययन करेगी तथा जीएसटी परिषद के उपयोग और विचार के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी. इसका मतलब है कि पेमेंट गेटवेज प्लेटफॉर्म्स को अभी 2 हजार रुपये से कम ट्रांजैक्शन पर होने वाले प्रॉफिट पर राहत मिलती रहेगी. उन्हें इस आय पर जीएसटी नहीं देना होगा.
दुकानदारों या फिर व्यापारियों से कितना चार्ज करते हैं पेमेंट गेटवेज प्लेटफॉर्म?
पेमेंट गेटवेज मुहैया कारने वाले प्लेटफॉर्म दुकानदारों या फिर व्यापारियों से प्रति टांजैक्शन का 0.5 फीसदी से लेकर 2 फीसदी तक चार्ज करते हैं. ऑन ऐन एवरेज ये प्लेटफॉर्म लगभग 1 फीसदी चार्ज करते हैं.
वहीं, 2000 रुपये से नीचे की लेनदेन पर कोई पेमेंट एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म को कोई जीएसटी नहीं देनी पड़ती है. इसी कमाई पर 18 फीसदी जिएसटी लगाने की बात कही जा रही थी. हालांकि, जीएसटी काउंसिल ने इस निर्णय को अभी स्थगित कर दिया है. 2017 में सरकार ने ये छूट दी थी ताकि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिल सके.