नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर कई नए फैसले कर सकती है. सरकार मौजूदा इनकम टैक्स ढांचे को दुरुस्त करना चाहती है जिससे खपत में आई किल्लत से निपटा जा सकते. निम्न आय वर्ग वालों को सरकार बड़ा तोहफा दे सकता है. सरकार कम आय वाले लोगों के लिए टैक्स दरों में कटौती कर सकती है. सरकार फ्री गिफ्ट और लोक कल्याणकारी नीतियों पर अपना फोकस बढ़ा सकती है. सरकार राजकोषीय घाटे को भी दुरुस्त करने की कोशिश कर रही है. आयकर अधिकारियों का मानना है कि टैक्स में कटौती से डिस्पोजेबल आय बढ़ सकती है, जिससे आर्थिक विकास को नई गति मिल सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक डिमांड बढ़ाने के लिए खपत बढ़ाने पर सरकार जोर देगी. जिससे इन्वेस्टमेंट साइकिल दुरुस्त हो सके. इससे जीएसटी कलेक्शन में भी इजाफा हो सकता है. सरकार का जोर डिस्पोजेबेल इनकम बढ़ाने पर है. सरकार के इस फैसले से निगमों का भी टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा.
सरकार मौजूदा टैक्स स्लैब में इनकम टैक्स का का इजाफा ज्यादा है. अधिकारियों का मानना है कि अभी, नए टैक्स सिस्टम में 5 प्रतिशत का आपका पहला स्लैब 3 लाख रुपये से शुरू होता है. जब यह 15 लाख रुपये तक पहुंचता है, तो मार्जिनल टैक्स की दर 5 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो जाती है. यह 6 गुना इजाफा है. इसलिए जब आय 5 गुना बढ़ जाती है, तो मार्जिनल टैक्स की दर छह गुना बढ़ जाती है. यह ज्यादा है, इसके समीक्षा की जरूरत है.
- जब लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा होगा तो खपत भी ज्यादा होगी. लोगों की क्रय क्षमता बढ़ेगी . ज्यादा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष टैक्स रेवेन्यू मिलेगा. प्राप्त होगा. सीधे राजस्व की हानि नजर आ सकती है लेकिन इसका प्रभाव बेहद सकारात्मक होगा.
- इनकम टैक्स अदिकारियों का मानना है कि राजकोषीय अस्थिरता की कीमत पर गरीबों को लाभ नहीं पहुंचाया जा सकता है. निम्न आय वर्ग के लिए कुछ सुधार बेहद जरूरी हैं. ऐसा माना जा रहा है कि नई नरेंद्र मोदी सरकार जुलाई के तीसरे सप्ताह तक वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट पेश करेगी.
- भारत ने पिछले तीन वर्षों में 7 प्रतिशत से अधिक की औसत जीडीपी ग्रोथ रेट दर्ज किया है. इसके सामने लो एग्रिकल्चरल ग्रोथ, कमजोर एक्सपोर्ट-इंपोर्ट और आर्थिक सुस्ती जैसी चुनौतिया हैं. डिमांड घटी है इसी वजह से चुनौतियां बनी हुई हैं. सरकार, इन्हीं चुनौतियों से उबरने के लिए नीतियां बनाने की तैयारी कर रही है.