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नहीं खत्म हो रहीं पेटीएम की मुश्किलें, निवेशकों को परेशान कर सकती है ये खबर

सीईओ और फाउंडर विजय शेखर शर्मा की भरसक कोशिशों के बाद भी पेटीएम की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. विदेशी निवेशक लगातार कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं. विदेशी निवेशकों को कंपनी के साथ अपना भविष्य उज्जवल नहीं लग रहा है यही वजह है कि वो लगातार कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं. हालांकि रिटेलर्स और घरेलू संस्थागत निवेशकों का कंपनी पर भरोसा बढ़ा है.

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: Social media

विजय शेखर शर्मा की लाख कोशिशों के बावजूद पेटीएम की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पेटीएम को लेकर अब जो खबर आ रही है वह निवेशकों को परेशान कर सकती है क्योंकि इस खबर के सामने आने के बाद पेटीएम के शेयरों में गिरावट देखने को मिल सकती है. दरअसल, जापान की सॉफ्टबैंक ने पेटीएम की पैरेंट कंपनी  One97 Communication में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी है.  जून के कंपनी के शेयरधारक टेडा के अनुसार, SVF India Holdings (Cayman) Limited (Softbank) ने फिनटेक कंपनी में अपने बाकी बचे 1.4 प्रतिशत शेयर बेच दिए हैं.

लगातार बेची अपनी हिस्सेदारी

सॉफ्टबैंक नवंबर 2022 से ही पेटीएम में लगातार अपनी हिस्सेदारी बेच रही है. मार्च 2024 तक आते आते सॉफ्टबैंक की पेटीएम में हिस्सेदारी घटकर 1.4 प्रतिशत रह गई थी, जबकि 2021 में पेटीएम का आईपीओ आने के दौरान सॉफ्ट बैंक की पेटीएम में 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. इससे पहले सॉफ्टबैंक ने पॉलिसीबाजार की पैरेंट कंपनी PB Fintech में भी अपनी पूरी हिस्सेदारी बेची है.

पीबी फिनटेक से कमाया 650 मिलियन डॉलर का रिटर्न
जापान की इस बैंक ने पीबी फिनटेक के शुरुआती दिनों में 200 मिलियन डॉलर की हिस्सेदारी खरीदी थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीबी फिनटेक में पैसा लगाकर कंपनी ने करीब 650 मिलियन डॉलर का रिटर्न कमाया

पेटीएम के लिए एक अच्छी खबर भी
एक तरफ जहां सॉफ्टबैंक ने पेटीएम में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेची है. वहीं सिंगापुर और हॉन्ग-कॉन्ग में स्थित एक प्रतिष्ठित हेज फंड Treeline ने पेटीएम में अपने शेयर बढ़ाकर 1.18 प्रतिशत और यूपीएस प्रिंसिपल कैपिटल एशिया ने 1.08 प्रतिशत कर दिए हैं. कुल मिलाकर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की कंपनी में हिस्सेदारी 2 प्रतिशत गिरकर 39.77 से 37.77 रह गई है.

वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में पेटीएम में घरेलू म्यूचुअल फंड्स ने अपनी हिस्सेदारी को 0.65 प्रतिशत बढ़ाकर 6.80 प्रतिशत कर दिया है. रिटेलर्स ने भी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 1.30 प्रतिशत बढ़ाकर 16.56 प्रतिशत और घरेलू संस्थागत निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी को 0.29 प्रतिशत बढ़ाकर 7.15 प्रतिशत कर दिया है.