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India Daily

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारतीयों के लिए खुशखबरी! सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने कर दिया ये ऐलान

दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत ने मार्च के अंत तक इस वित्तीय वर्ष की पहली दो तिमाहिओं में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है क्योंकि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विकास की गति को बढ़ाने के लिए सरकार विभिन्न योजनाओं पर जमकर पैसा खर्च कर रही है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Indian Economy

हाइलाइट्स

  • धीमी नहीं पड़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार
  • महंगाई घटने और रोजगार में वृद्धि की संभावना

Indian Economy: भारत इस साल और अगले साल सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहे है और सरकार के मजबूत खर्चों से इसे लगातार बढ़ावा मिलता रहेगा. रॉयटर्स नाम की एक प्रमुख न्यूज एजेंसी ने अर्थशास्त्रियों के बीच एक सर्वेक्षण किया है जिसमें यह बात निकलकर सामने आई है. अर्थशास्त्रियों ने यह भी कहा है कि महंगाई के फिर से बढ़ने की संभावना नहीं है.

विकास की गति को बढ़ाने के लिए जमकर खर्च कर रही सरकार

दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत ने मार्च के अंत तक इस वित्तीय वर्ष की पहली दो तिमाहिओं में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है क्योंकि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विकास की गति को बढ़ाने के लिए सरकार विभिन्न योजनाओं पर जमकर पैसा खर्च कर रही है.

देश में निजी निवेश और रोजगार में आई कमी

हाल के वर्षों में मोदी सरकार ने सबसे ज्यादा खर्च बुनियादी ढांचे के निर्माण पर किया है. देश में निजी निवेश और नौकरियों के निर्माण में कमी आई है जिसकी पता चलता है कि सरकार भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए अपने प्रयास जारी रखेगी.

रॉयटर्स ने 10 से 23 जनवरी के बीच 54 अर्थशास्त्रियों के बीच यह सर्वे किया था जिन्होंने भविष्यवाणी की थी कि इस वित्त वर्ष के लिए भारत की अर्थव्यवस्था 6.9%  बढ़ेगी, जबकि दिसंबर में किए गए सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था 6.7% बढ़ेगी.

मुद्रास्फीति में जल्द आएगी कमी

वहीं खाद्द कीमतों में दबाव के कारण पिछले चार महीनों में मुद्रास्फीति सबसे तेज गति बढ़कर दिसंबर में 5.69% हो गई, हालांकि अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि यह मुद्रास्फीति में जल्द ही कमी देखने को मिलेगी.

पैंथियन मैक्रोइकॉनॉमिक्स के मुख्य उभरते एशिया अर्थशास्त्री मिगुएल चान्को ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि मुद्रास्फीति अल्पावधि में काफी हद तक कम हो जाएगी और पहले से ही कम मुख्य मुद्रास्फीति के साथ नीचे की ओर बढ़ेगी.

सर्वे में इस वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति औसतन 5.45% और 4.7% दिखाई गई है, जिसमें 32 में से 23 अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आने वाले 6 महीनों में महत्वपूर्ण पुनरुत्थान का जोखिम कम है.

अगले 6 महीनों में रोजगार में सुधार होगा

सर्वे में कहा गया है कि उपभोक्ताओं का खर्च, जो एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का 60% हिस्सा है, धीमा हो गया है, हालांकि 28 में से 25 अर्थशास्त्रियों ने मजबूत बहुमत के साथ कहा कि अगले 6 महीनों में रोजगार में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि हालांकि नौकरियों में यह वृद्धि उतनी तेज गति से नहीं होगी जितनी तेज गति से भारत में हर साल काम करने वाले युवाओं की संख्या बढ़ रही है, जिसकी वजह से खपत में गिरावट की संभावना है.

वहीं एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री सुमन चौधरी ने कहा कि हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत गति पर है लेकिन निजी उपभोग में कमजोरी के कारण इसमें नरमी के संकेत हैं लेकिन यह अधिक रोजगार पैदा करने और आबादी के एक बड़े हिस्से की खर्च योग्य आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर निर्भर करेगा.