Indian Economy: आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए अच्छी खबर है. चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी 7.6% रही, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में भारत की जीडीपी 6.2% थी. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में देश की अर्थव्यवस्था 7.7% की दर से बढ़ी थी, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी छमाही में यह 9.5 प्रतिशत थी. इसी के साथ भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश बना हुआ है.
लक्ष्य का 45% तक पहुंचा राजकोषीय घाटा
गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष (FY24) में अप्रैल-अक्टूबर के लिए भारत का राजकोषीय घाटा सरकार के 2023-24 के लक्ष्य 17.87 ट्रिलियन रुपए 45% तक पहुंच गया. पिछले साल की समान अवधि में यह घाटा 2022-23 के बजट अनुमान का 45.6% था.बता दें कि सरकार के खर्च और उसकी कमाई के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं.
इस साल अप्रैल से अक्टूबर तक राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) 8.04 ट्रिलियन रुपए थे, जो पिछले साल की समान अवधि में 7.57 ट्रिलियन रुपए था. यह वित्त वर्ष 2024 के पहले 6 महीनों के लिए पूरे साल के लक्ष्य का 39.3% है.
सरकार ने रखा राजकोषीय घाटे को कम करने का लक्ष्य
सरकार ने केंद्रीय बजट में वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.9% तक कम करने का लक्ष्य रखा है. 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत था पहले जिसके 6.71 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया था.
हाल के अनुमानों में राजस्व अंतर 2.8 ट्रिलियन रुपए था, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 3.85 ट्रिलियन रुपए था. सरकारी खर्च बढ़कर 23.94 ट्रिलियन रुपए हो गया जो पहले 21.44 ट्रिलियन रुपए था.
इससे पहले आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने विश्वास जताया था कि बढ़ते फूड सब्सिडी बिल के बावजूद केंद्र वित्त वर्ष 2024 में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा कर लेगा. गुरुवार शाम को केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़ों की घोषणा कर सकती है.