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India-EFTA Trade Agreement: भारत-EFTA के बीच FTA आज, अब चीन के छूटेंगे पसीने; भारत को कैसे होगा इस डील से फायदा, जानें

इस समझौते से भारत को ईएफटीए को अपने बाजार तक पहुंच देने के बदले आर्थिक गतिविधि और नौकरियां पैदा करने में मदद मिल सकती है.

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Edited By: India Daily Live
India-EFTA Trade Agreement

India-EFTA Trade Agreement: भारत और चार देशों के यूरोपीय समूह (EFTA) वस्तुओं, सेवाओं और निवेश में परस्पर व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रविवार को एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर करेंगे. बता दें कि आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड EFTA के सदस्य हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 7 मार्च को इस समझौते को केंद्रीय मंत्रीमंडल की मंजूरी मिल गई.

भारत और ईएफटीए आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जनवरी 2008 से आधिकारिक तौर पर व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TPEA) समझौते पर बातचीत कर रहे हैं.

यह समझौता 15 वर्षों की अवधि में 100 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित करने और चीन से आयात में विविधता लाने की योजना पर आधारित है.

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह समझौता
भारत सहित 64 देशों में इस साल चुनाव होने जा रहे हैं जिसकी वजह से भारत और उसके व्यापार सहयोगियों के बीच मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) पर लंबा ब्रेक लग सकता है.

वहीं हाल के महीनों में ऐसा पहली बार हो रहा है जब पश्चिमी देश चीन से अपना व्यापार समेट रहे हैं और भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं, ऐसे में भारत नहीं चाहता कि इस समझौते में किसी प्रकार की देरी हो.

 जहां दुनियाभर के देशों के लिए भारत इस समय एशिया में निवेश के लिहाज से सबसे आकर्षक केंद्र बना हुआ है, वहीं वियतनाम के नेतृत्व में आसियान देश और उत्तरी अमेरिका के देश जैसे मैक्सिको निवेश के आकर्षक केंद्र के रूप में उभर रहे हैं. ऐसे में निवेश के प्रवाह को सुव्यवस्थित करने और वैश्विक एकीकरण के नए प्रयासों में देरी से भारत के हाथ से अपने भू-राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने का सुनहरा अवसर निकल सकता है.

वहीं जहां एक तरफ भारत और ईएफटीए के बीच जहां आज व्यापार समझौता होने जा रहा वहीं दूसरी तरफ ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ भारत के एफटीए जैसे प्रमुख सौदों में अभी भी राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है.

ऐसे में भारत-ईएफटीए सौदे से व्यापार अंतर बढ़ने की भी उम्मीद है. इसके अलावा ईएफटीए द्वारा भारत में 100 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता पर भले ही अभी स्पष्टता न हो लेकिन इस समझौते से भारत को ईएफटीए को अपने बाजार तक पहुंच देने के बदले आर्थिक गतिविधि और नौकरियां पैदा करने में मदद मिल सकती है.

इसके अलावा भारत को सेवा क्षेत्र में लाभ मिल सकता है और  यह सौदा भारत को अपने सेवा क्षेत्र को और अधिक सशख्त बनाने में मदद कर सकता है.

भारत को किन सेक्टरों में होगा लाभ
ईएफटीए क्षेत्र के फंड में नॉर्वे का 1.6 ट्रिलियन डॉलर का सॉवरेन वेल्थ फंड शामिल है, जो दुनिया का सबसे बड़ा पेंशन फंड है, जिसने टेक्नोलॉजी के शेयरों में अपने निवेश पर मजबूत रिटर्न के दम पर 2023 में 213  बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड प्रॉफिट कमाया. इसके अलावा इस समझौते से भारत को फार्मा, केमिकल, खाद्य प्रसंस्करण और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में निवेश की उम्मीद है. सरकारी अधिकारियों ने बताया कि ईएफटीए ऊपर बताए गए सेक्टरों में जॉइन्ट वेंचर्स (संयुक्त उद्यमों) पर भी विचार कर रहा है, इससे भारत को चीन से इतर आयात बढ़ाने में मदद मिलेगी.

वर्तमान में अकेले वित्त वर्ष 2023 में भारत ने चीन से 20.08 बिलियन डॉलर के रासायनिक उत्पादों का आयात किया था. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने  इसी दौरान चीन से 3.4 बिलियन डॉलर के मेडिकल और लगभग 7 बिलियन डॉलर की थोक दवाओं का आयात किया.