नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र में एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया गया था. जिसके बाद इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई है. अब इसको लागू करने 1 अक्टूबर की तारीख भी निर्धारित कर दी गई है. जन्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए है. इसको लेकर बीते मानसून सत्र में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में कहा था कि जन्म और मृत्यु नियम आने के बाद अब तक इसमें कोई संशोधन नहीं हुआ है जबकि समय के अनुसार इसमें बदलाव की आवश्यक्ता है.
प्रदेश और केंद्र स्तर के सहयोग से तैयार होगा डेटाबेस
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि वर्तमान समय में अब सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए इसके साथ इस नए कानून को और नागरिक अनुकूल बनाने के लिए इसमें संशोधन किया गया है. इस नए जन्म और मृत्यु कानून में प्रदेश और केंद्र स्तर के सहयोग से इसका डेटाबेस तैयार किया जा सकेगा.
पहले यह सुविधा केवल ऑफलाइन होता था जारी
जन्म और मृत्यु कानून में संशोधन के बाद कई बदलाव देखने को मिलेंगे. इससे लोगों के बीच बेहतर तरीके से यह नियम प्रभावी होगा जिसके वजह से यह सर्टिफिकेट डिजिटल रूप में उपलब्ध हो सकेगा. वहीं अभी तक इसके लिए केवल ऑफलाइन सुविधा ही उपलब्ध थी. जसके लिए लोगों को दफ्तरों के खूब चक्कर काटने पड़ते थे.
इन डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में पड़ेगी आवश्यक्ता
1 अक्टूबर से इस नियम के तहत डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में जन्म प्रमाण पत्र की अहमियम बढ़ने वाली है. नए नियम के तहत जन्म प्रमाण पत्र का इस्तेमाल स्कूलों में एडमिशन, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस(डीएल) जारी करने, पासपोर्ट, आधार बनवाने, सरकारी रोजगार और विवाह पंजीकरण सहित कई जगहों पर सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर किया जा सकेगा.
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