Property News: भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (IBBI) ने फ्लैट खरीदने वालों को बड़ा तोहफा दिया है. अब से अगर किसी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की कंपनी दिवालिया हो जाती है और उसने अपने प्रोजेक्ट के तहत सैकड़ों घर बेचकर खरीदारों को कब्जा दे दिया है तो घर खरीदारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्हें उनका घर मिलेगा.
आसान भाषा में समझें तो अगर आप किसी रियल एस्टेट कंपनी से घर खरीदते हैं और और आपको कब्जा दे दिया जाता है तो आपको परिसमापन की प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा. परिसमापन वह प्रक्रिया होती है जिसमें कंपनी का वैधानिक अस्तित्व समाप्त हो जाता है. उनकी संपत्तियों को बेचकर लोन का भुगतान किया जाता है. लेकिन अब इस प्रक्रिया से उन लोगों को बाहर रखा जाएगा. यानी कंपनी किस बैंक या फाइनेंसियल सर्विस से कर्ज लेकर घर बना रही है इससे कोई लेना देना नहीं होगा.
कब्जा मिलने पर खरीदारों की प्रॉपर्टी पर नहीं पड़ेगा असर
इस नए नियम से मकान खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी. क्योंकि अभी तक ऐसा होता था कि कोई रियल एस्टेट कंपनी किसी बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. लोगों ने भारी संख्या में फ्लैट की बुकिंग कर लेते हैं और कंपनी उन्हें कब्जा देती है. इसके बाद अगर रियल एस्टेट कंपनी खुद को दिवालिया घोषित कर लेती है तो इससे घर खरीदने वालों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. रियल एस्टेट कंपनी को कर्ज देने वाली कंपनी जब उस प्रॉपर्टी की नीलामी कर अपने कर्ज की भरपाई करेगी तो उससे उन घरों को बाहर रखा जाएगा. जिन पर लोगों को कब्जा दे दिया गया है.
इसके अलावा IBBI उन प्रक्रियाओं में संशोधन करने पर काम कर रही है जो अब तक रियल एस्टेट के लिए बहुत धीमी रही हैं. इसके साथ ही भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड ने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (RERA) की भूमिका बढ़ाने की पैरवी की है. प्रस्ताव रखा गया गया है कि अब समाधान प्रक्रिया में जाने वाली सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं का रजिस्ट्रेशन रेरा के पास कराना अनिवार्य हो.