नई दिल्ली: '4 बूंदो वाला..उजाला' के नाम से भारतीय बाजार में अपनी पकड़ बनाने वाले ज्योति लैबोरटरीज लिमिटेड ने जब उजाला नील की शुरुआत की तो शायद ही यह बात किसी को पता थी कि यह सफर इतना लंबा जाएगा. ज्योति लैबोरटरीज लिमिटेड के फाउंडर और चेयरमैन एम.पी रामचंद्रन ने अपनी इस कंपनी की शुरुआत महज 5 हजार रुपए के लोन से की और आज अपनी मेहनत और लगन के दम पर लाखों बिजनेसमैन के लिए मिसाल बन चुके हैं.
रामचंद्रन ने अपने दृढ़ निश्चय और बिजनेस सेंस के दम पर 5 हजार के लोन से शुरू किए गए अपने बिजनेस को करोड़ो की वैल्यू का बना दिया है. केरल के त्रिशूर में थॉमस कॉलेज से बी. कॉम करने के बाद रामचंद्रन ने अपना करियर एक अकाउंटेंट के रूप में शुरू किया था लेकिन उनकी इच्छा खुद का व्यवसाय शुरू करने की थी. इसी वजह से उन्होंने बिजनेस करने का फैसला लिया और इसी सोच को कायम रखते हुए कुछ अलग प्रोडक्ट्स बनाने की सोची.
शुरू में उन्होंने फैब्रिक व्हाइटनर बनाने के लिए सोचा और अपनी रसोई में इसे प्रयोग करना शुरू कर दिया लेकिन उनको सफलता नहीं मिली. उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ तब आया जब उनकी नजर एक रासायनिक पत्रिका पर पड़ी जिसमें सुझाव दिया गया था कि बैंगनी रंग संभवत: सबसे सफेद और चमकीले रंगो को प्राप्त करके कपड़ा निर्माण में क्रांति ला सकता है. रामचंद्रन ने इस पर पूरे जोरों से काम किया और बैंगनी रंगों के साथ प्रयोग करने के लिए एक साल समर्पित कर दिया
सन 1983 में रामचंद्रन ने अपने भाई से 5,000 रुपये का ऋण लेकर, केरल के त्रिशूर में अपने परिवार की जमीन के एक छोटे हिस्से पर टेम्परेरी कारखाने को स्थापित किया. अपनी बेटी के नाम पर उन्होंने कंपनी का नाम ज्योति लेबोरेटरीज रखा. चमकीले और सफेद कपड़ों की बढ़ती उपभोक्ता मांग को देखते हुए लैब ने उजाला सुप्रीम लिक्विड फैब्रिक व्हाइटनर बनाया था.
शुरुआत में, छह महिलाओं के एक ग्रुप ने इस उत्पाद को घर-घर जाके बेचना शुरू किया था. समय के साथ, उजाला की मांग बढ़ती गई. पहले इसका बाजार दक्षिण भारत में बढ़ा था. 1997 तक यह उत्पाद पूरे देश में घर-घर तक पहुंच गया था. अब यह सिंगल एंटरप्राइज मल्टी-ब्रांड में तब्दील हो गया है. कंपनी ने विभिन्न FMCG कैटगरीज में कदम रखा और जर्मन कंपनी हेनकेल लिमिटेड का अधिग्रहण भी कर लिया जिससे बाजार में उसकी उपस्थिती और मजबूत हो गई है. अब तक कंपनी का बाजार पूंजीकरण 13,583 करोड़ हो गया है.
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