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India Daily

कैसे धुंध के आंचल में भी तेज रफ्तार से भागती है ट्रेन, क्यों नहीं होता एक्सीडेंट का खतरा

Dense Fog System: भारत जैसे विशाल देश में रेल यात्रा जीवन का अभिन्न अंग है. पहाड़ों की ऊंचाइयों से लेकर मैदानी इलाकों तक लोहे की पटरियों पर दौड़ते सफरगारों के किस्से हर स्टेशन पर सुनाई देते हैं.

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Edited By: Vineet Kumar
Dense Fog Train

हाइलाइट्स

  • कैसे धुंध के आंचल में भी तेज रफ्तार से भागती है ट्रेन
  • क्यों नहीं होता एक्सीडेंट का खतरा

Dense Fog System: भारत जैसे विशाल देश में रेल यात्रा जीवन का अभिन्न अंग है. पहाड़ों की ऊंचाइयों से लेकर मैदानी इलाकों तक लोहे की पटरियों पर दौड़ते सफरगारों के किस्से हर स्टेशन पर सुनाई देते हैं. लेकिन कभी सोचा है, जब घना कोहरा चारों ओर छा जाता है, दृश्यता शून्य हो जाती है, तब भी ट्रेनें कैसे अपनी रफ्तार बनाए रखती हैं और हादसों से सुरक्षित रहती हैं? 

आइए आज हम कोहरे की धुंध में ट्रेनों की सुरक्षित गति के पीछे के राज से पर्दा उठाते हैं जो कि कमाल तकनीक और सावधानी का कॉम्बिनेशन है. 

1. आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली: पुराने जमाने में सिग्नल देखकर लोको पायलट रफ्तार तय करते थे, लेकिन कोहरे में ये बेकार हो जाते थे. आजकल अधिकांश रेलवे लाइनों पर अत्याधुनिक एटीएस (ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन) और एलएसएएस (लोकल साइटिंग ऑटोमेटिक सिग्नलिंग) जैसे सिस्टम मौजूद हैं. ये सिस्टम रेडियो तरंगों या ट्रैक सर्किट के जरिए ट्रेन की स्थिति का पता लगाती हैं और अगले सिग्नल की जानकारी लोको पायलट को ऑटोमैटिक रूप से देती हैं. इससे कोहरे में भी ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखना संभव हो पाता है.

2. ट्रेन-बॉर्न डिवाइसेज: आधुनिक ट्रेनों में ट्रैक विजन लिंक्स और टीएफएस (ट्रेन फ्रंट शंटिंग) जैसे उपकरण लगे होते हैं. ट्रैक विजन लिंक्स कोहरे में भी ट्रैक की स्थिति और आने वाले सिग्नलों की जानकारी लोको पायलट को देते हैं, जबकि टीएफएस लोकोमोटिव के सामने किसी बाधा का पता चलने पर ऑटोमेटिक रूप से ब्रेक लगा देता है.

3. स्पीड रेस्ट्रिक्शन: कोहरे की गहनता के हिसाब से रेलवे स्पीड रेस्ट्रिक्शन लागू करता है. इससे लोको पायलट अधिकतम निर्धारित गति से ही ट्रेन चलाते हैं, जिससे अचानक किसी बाधा के सामने आने पर ट्रेन को रोकने का समय मिल जाता है.

4. लोको पायलट की ट्रेनिंग: लोको पायलटों को कोहरे में ट्रेन चलाने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. इसमें विजिबिलिटी कम होने पर सावधानी, हॉर्न का इस्तेमाल और आपातकालीन परिस्थितियों में संभालने के तरीके शामिल होते हैं.

5. निगरानी और रखरखाव: रेलवे ट्रैक, सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रेन-बॉर्न डिवाइसेज का नियमित निरीक्षण और रखरखाव किया जाता है. इससे किसी भी तकनीकी खामी को समय रहते दूर किया जा सकता है और कोहरे के दौरान भी सुरक्षित संचालन सुनिश्चित होता है.

इस प्रकार, आधुनिक तकनीक, सतर्कता और उचित प्रबंधन का संगम ही कोहरे के आगोश में भी ट्रेनों की सुरक्षित और सुचारू गति का आधार है. अगली बार जब आप कोहरे के बीच दौड़ती ट्रेन देखें, तो याद रखिएगा कि ये तकनीक का कमाल है जो आपको सुरक्षित मंजिल तक पहुंचा रहा है.