भारत को हरित क्रांति 2.0 की जरूरत, GTRI ने कहा- सिंचाई के लिए किसानों को न दी जाए फ्री बिजली

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने गुरुवार को कहा कि भारत में दाल, तेल, सब्जी जैसी कम पानी की खपत वाली फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति 2.0 की शुरुआत करने की जरूरत है.

Business News: मोदी सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्ज में जबरदस्त वृद्धि हुई है. चालू वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जनवरी अवधि के दौरान किसानों को कर्ज के रूप में 20.39 लाख करोड़ रुपए का वितरण किया गया जबकि 2013-14 में यानी पूरे साल में किसानों को कर्ज के रूप में दी गई रकम केवल 7.3 लाख करोड़ रुपए थी.

कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में कृषि ऋण लक्ष्य 20 लाख करोड़ रुपए निर्धारित किया था, बैंक पहले ही इस लक्ष्य को पार कर चुके हैं और अब इस वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 22 लाख करोड़ रुपए के पार जा सकता है.

कृषि मंत्रालय ने किसानों को सालाना 7% से कम ब्याज पर कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए 3  लाख रुपए तक के अल्पकालिक फसल कर्ज को लेकर ब्याज छूट योजना लागू की है.

हरित क्रांति 2.0 की जरूरत
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने गुरुवार को कहा कि भारत में दाल, तेल, सब्जी जैसी कम पानी की खपत वाली फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति 2.0 की शुरुआत करने की जरूरत है.  GTRI ने कहा कि सरकार ऐसी फसलों पर MSP की गारंटी दे सकती है.

'किसानों को कम पानी वाली तकनीक के बारे में जागरूक करने की जरूरत'
जीटीआरआई ने कहा कि किसानों को कम पानी के इस्तेमाल से फसल करने की तकनीक जैसे ड्रिप इरीगेशन, लेजर लैंड लेवलिंग के बारे में जागरूक करने की जरूरत है.

किसानों को फ्री न दी जाए बिजली

जीटीआरआई ने यह भी सुझाव दिया कि किसानों को खेती के लिए फ्री बिजली दिए जाने के बजाय हमें हमें जल मूल्य निर्धारण तंत्र की शुरुआत करने की जरूरत है ताकि किसानों को पानी के अत्यधिक इस्तेमाल से रोका जा सके और इसके संरक्षण के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके, इसके अलावा किसानों को उनके द्वारा किए जाने वाले गैर-टिकाऊ कार्यों के दीर्घकालिक परिणामों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए. ये शिफारिशें इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि क्योंकि कुछ राज्यों के किसान एमएसपी और कर्ज माफी के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

पंजाब के किसान न उगाएं धान

जीटीआरआई के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि धान अधिक पानी की खपत करने वाली फसल है यह मक्का और दाल की फसलों से 2 से 3 गुना ज्यादा पानी लेती है. पंजाब में जो धान उगाया जा रहा है, उसके लिए प्रति 1 किलो धान पर 800 से 1200 लीटर पानी खर्च होता है जबकि आम तौर पर पंजाब को ज्यादा पानी की खपत वाली फसलों को करने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि सिंचाई के लिए किसानों को आज फ्री बिजली दी जा रही है जिससे वो जल संरक्षण के प्रति लापरवाह हो रहा हैं और इससे आने वाले संकट में जल संकट और ज्यादा गहरा सकता है.

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