सोने की भी होती है खेती? जानें गोल्ड प्लांटिंग पर क्या कहता है विज्ञान
सोने की खेती की संभावना काफी आकर्षक प्रतीत होती है, यह पूरी तरह से पारंपरिक खनन प्रक्रिया का विकल्प नहीं बन सकती है. इसके बावजूद, यह पर्यावरणीय दृष्टिकोण से एक बेहतर और टिकाऊ तरीका हो सकता है, जो भविष्य में रासायनिक उद्योग में भी उपयोगी हो सकता है.
क्या आपने कभी सोचा है कि सोने की भी खेती हो सकती है? यह सुनने में जितना अजीब लगता है, उतना ही सच भी है! हाल ही में कुछ वैज्ञानिकों ने इस विचार को साकार किया और यह साबित किया कि कुछ विशेष पौधे सोने के कणों को अपने भीतर अवशोषित कर सकते हैं. इस तकनीक को 'फाइटोमाइनिंग' (Phytomining) कहा जाता है, जिसका मतलब है, पौधों के जरिए खनिजों को प्राप्त करना. आइए जानते हैं कि यह प्रक्रिया किस तरह काम करती है और इस पर क्या कहता है विज्ञान.
फाइटोमाइनिंग: पौधों से सोना निकालने की प्रक्रिया
सोने का अवशोषण करने वाली कोई प्राकृतिक पौधा प्रजाति पहले से नहीं जानी जाती थी. कारण था कि सोना पानी में आसानी से घुलता नहीं है, जिससे कोई पौधा इसे अपनी जड़ों के जरिए अवशोषित नहीं कर सकता. हालांकि, 15 साल पहले, पर्यावरणीय रसायनज्ञ क्रिस एंडरसन ने यह साबित किया कि सरसों के पौधे सोने को सोइल में घुले कणों से अवशोषित कर सकते हैं.
फाइटोमाइनिंग के इस प्रयोग में तेजी से बढ़ने वाले पौधों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि सरसों, सूरजमुखी या तंबाकू. इन पौधों को उस मिट्टी में उगाया जाता है, जिसमें सोने के कण मिलाए गए होते हैं. जब ये पौधे अपनी पूरी ऊँचाई तक बढ़ जाते हैं, तो मिट्टी में एक रासायनिक प्रक्रिया से सोने को घुलाया जाता है. इसके बाद, पौधे उन घुलनशील सोने को अपनी जड़ों के माध्यम से अवशोषित कर लेते हैं और उसे अपने अंदर जमा कर लेते हैं.
सोने को पौधों से निकालना क्यों मुश्किल है?
जबकि पौधे सोने को अवशोषित कर लेते हैं, इसे निकालना उतना आसान नहीं होता. क्रिस एंडरसन ने बताया कि जब पौधों को जलाकर सोने को हटाने की कोशिश की जाती है, तो कुछ सोना राख के साथ चिपक कर रह जाता है, जबकि कुछ हिस्सा घुलकर गायब भी हो जाता है. इसके अलावा, राख से सोने को निकालने के लिए बहुत सारे जटिल रसायनों और तीव्र अम्लों की आवश्यकता होती है, जो परिवहन के दौरान खतरनाक हो सकते हैं.
क्या यह पारंपरिक सोने की खदानों का विकल्प हो सकता है?
हालांकि यह तकनीक रोमांचक है, क्रिस एंडरसन का मानना है कि यह पारंपरिक सोने की खनन प्रक्रिया का स्थान कभी नहीं ले सकती. इसकी वजह यह है कि सोने को निकालने की प्रक्रिया काफी जटिल है और इसमें पर्यावरणीय जोखिम भी हो सकता है. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रक्रिया के दौरान जिन रसायनों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि साइनाइड और थायोसायनेट, वे खतरनाक हो सकते हैं.
क्या फायदे हैं?
फाइटोमाइनिंग के कई फायदे भी हो सकते हैं. इसके द्वारा निकलने वाला सोना नैनोमटेरियल्स के रूप में होता है, जिसका उपयोग रासायनिक प्रतिक्रियाओं में उत्प्रेरक के रूप में किया जा सकता है. इसके अलावा, यह तकनीक उन छोटे पैमाने पर काम करने वाले खनिकों के लिए उपयोगी हो सकती है, जो पारंपरिक खनन के दौरान पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. इंडोनेशिया में एंडरसन इस तकनीक को छोटे पैमाने पर लागू करने की दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सके.