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Angel Tax खत्म होने से स्टार्ट अप और नई कंपनियों को होगा फायदा? समझिए बजट के बाद क्या बदल जाएगा

Angel Tax: मोदी 3.0 सरकार का पहला बजट पेश हो चुका है. केंद्र सरकार ने इसमें छोटे बिजनेस और स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कदम उठाए हैं. वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में एंजेल टैक्स को भी खत्म करने का ऐलान किया है.

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Edited By: India Daily Live
Angel Tax
Courtesy: Social Media

Angel Tax: देश का बजट पेश हो चुका है. केंद्र सरकार ने छोटे बिजनेस और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कदम उठाए हैं. सबसे खास बात यह है कि सरकार ने इस बार एंजेल टैक्स को खत्म कर दिया है. स्टार्टअप्स की तरफ से  लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी. सरकार ने एजेंल टैक्स इसलिए खत्म किया जिससे स्टार्टअप तंत्र को बढ़ावा दिया जा सके. केंद्र सरकार ने हर क्लास के लिए एंजेल टैक्स को खत्म कर दिया है.

वित्त मंत्री ने कहा  कि सबसे पहले, भारतीय स्टार्टअप इको सिस्टम को मजबूत करने, उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने और नवाचार का समर्थन करने के लिए मैं सभी वर्गों के निवेशकों के लिए  एंजेल टैक्स को समाप्त करने का प्रस्ताव करती हूं.


क्या है एंजेल टैक्स?

एंजेल टैक्स को साल 2012 में लागू किया गया था. यह उन अनलिस्टेड बिजनेस के ऊपर लागू होता है जो एंजेल इंवेस्टर्स से फंड हासिल करते हैं. जब किसी स्टार्टअप को एंजेल निवेशक से फंड मिलता है तो उस पर टैक्स लगता है. इनकम टैक्स एक्ट  1961 की धारा 56 (2) (vii) (b) के तहत स्टार्टअप को Angel Tax चुकाना पड़ता है.एंजेल टैक्स में दिक्कत तब बढ़ जाती है जब किसी स्टार्टअप को मिलने वाला निवेश उसकी फेयर मार्केट वैल्यू (FMV) से भी ज्यादा हो जाता है. इस स्थिति में स्टार्टअप को 30.9 फीसदी का टैक्स चुकाना पड़ता है.  

क्यों लाया गया था एंजेल टैक्स?

केंद्र सरकार इस टैक्स को धन शोधन के मामलों में कमी लाने के लिए लेकर आई थी. इसकी मदद से तमाम बिजनेस को टैक्स के दायरे में लाने की कोशिश की गई थी. सरकार ने इसे अच्छे मकसद से शुरू हुआ था लेकिन इससे तमाम स्टार्टअप्स को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. इस वजह से लंबे समय से इसका विरोध हो रहा था.

उदाहरण के जरिए समझें 

मान लीजिए कि आपके स्टार्टअप में किसी निवेशक ने 7000 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से इक्विटी मनी लगाई है. वहीं अगर आपके स्टार्टअप की फेयर मार्केट वैल्यू 6000 रुपये प्रति शेयर है तो इसका अर्थ हुआ कि आपको 1000 रुपये प्रति शेयर पर टैक्स देना होगा. 

क्या होती थी परेशानी 

जब कोई फाउंडर अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहता है तो उसे पैसों की जरूरत होती है. इसके लिए वह एंजेल निवेशकों से पैसे जुटाता है. हालांकि जब कोई एंजेल निवेश से पैसे लेता है तो उसे टैक्स पे करना पड़ता है. यदि स्टार्टअप FMV से ज्यादा निवेश प्राप्त कर लेता है तो उसे 30.9 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है. ऐसे में स्टार्टअप जितना कमाता नहीं है उससे ज्यादा वह टैक्स भर देता है. केंद्र सरकार ने बजट में इसे खत्म करने का ऐलान करके बिजनेस इकोसिस्टम को और सुदृढ़ बनाने का  काम किया है.