केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने शपथ ग्रहण के बाद काम शुरू कर दिया है. निर्मला सीतारमण एक बार फिर से वित्त मंत्री हैं. नई सरकार के पास पहला और सबसे अहम काम बजट पेश करने का है. पेपर लीक, महंगाई और जनहित के कई अन्य मुद्दों पर घिरी सरकार पर दबाव है कि वह इन समस्याओं को हल करने की दिशा में कुछ कदम उठाए. ऐसे में चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि सरकार टैक्स कम करने जैसे कुछ ऐसे कदम उठा सकती है, जिससे जनता को त्वरित लाभ मिल सके. वित्त मंत्रालय ने बजट तैयार करने के लिए अलग-अलग सेक्टर के प्रतिनिधियों से मुलाकात भी शुरू कर दी है.
इस वित्त वर्ष में मोदी सरकार पहले ही एक अंतरिम बजट पेश कर चुकी है. उसमें ज्यादा कुछ बदलाव नहीं किया गया था. ऐसे में अब नई सरकार के पहले पूर्णकालिक बजट से जनता की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं.रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार कुछ वर्गों के लोगों की इनकम टैक्स रेट में कटौती करने पर विचार कर रही है. साथ ही, 10 लाख से कम आय वाले लोगों के टैक्स की दर में भी कटौती करने की चर्चाएं हैं.
मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जीरो टैक्स वाली स्लैब को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो 5 लाख तक की आय वाले लोग टैक्स के दायरे से सीधे-सीधे बाहर हो जाएंगे. हालांकि, इसका फायदा सिर्फ उन लोगों को दिया जा सकता है जो नए टैक्स रिजीम के तहत आईटीआर भरेंगे. बता दें कि इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए अब दो तरीके यानी ओल्ड टैक्स रिजीम और न्यू टैक्स रिजीम हैं, जिनके तहत अलग-अलग तरीके से आईटीआर भरे जाते हैं.
बता दें कि लगातार बढ़ती जा रही महंगाई के बावजूद साल 2014 से अभी तक सेक्शन 80C की लिमिट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अगर इस लिमिट में बदलाव होता है तो लोगों को ELSS, एफडी और पीपीएफ जैसी योजनाओं में निवेश करके अपना टैक्स बचाने में मदद मिलेगी. बता दें कि ज्यादातर मिडिकल क्लास के लोग इन्हीं के तहत अपने टैक्स को बचाते हैं.
इसके अलावा, सेक्शन 24 (b) के तहत मिलने वाली 3 लाख तक की छूट को बढ़ाकर 3 लाख तक किए जाने को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं. अगर ऐसा होता है तो उन लोगों को फायदा हो सकता है जो फ्लैट या प्रॉपर्टी खरीदते हैं. इसका असर रियल एस्टेट सेक्टर में भी देखने को मिल सकता है.