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आज से किसानों की हो गईं मौज, मोदी सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला

तिलहन की कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए मोदी सरकार ने खाद्य तेल के आयात शुल्क को बढ़ाने का फैसला किया है. इससे तिलहन की खेती से जुड़े लाखों किसानों को फायदा होगा.हालांकि इससे आम आदमी के किचन का बजट बढ़ जाएगा.

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Courtesy: ANI

Business News: तिलहन की कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए मोदी सरकार ने खाद्य तेल के आयात शुल्क को बढ़ाने का फैसला किया है. इससे तिलहन की खेती से जुड़े लाखों किसानों को फायदा होगा.हालांकि इससे आम आदमी के किचन का बजट बढ़ जाएगा.

अब सोयाबीन, सूरजमुखी, पाम ऑयल के आयात पर ज्यादा आयात शुल्क देना होगा. बढ़ती दरें 14 सितंबर से लागू कर दी गई हैं. सरकार के इस फैसले से खाद्य तेल के आयात में कमी आएगी जिससे देश में खाद्य तेल की कीमतों के दाम बढ़ेंगे जिससे सीधे तौर पर किसानों को फायदा होने की उम्मीद है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक रिफाइंड तेल के भाव 18 महीने से गिर रहे हैं और अगस्त में इसमें 4.6  फीसदी की गिरावट आई थीं. कीमतों में गिरावट के चलते पाम ऑयल का आयात तेजी से बढ़ा. इस साल 2024 की पहली छमाही में पाम ऑयल के आयात में सालाना आधार पर 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है है.  सूरजमुखी बीज, केसरिया फूल और कपास के तेल के आयात में भी इस दौरान 55 फीसदी बढ़ गया.

कितना महंगा हो गया आयात
किसानों को नुकसान न हो इसे लेकर वित्त मंत्रालय ने 13 सितंबर को एक नोटिफिकेशन जारी किया था जिसके तहत कच्चे सोयाबीन, सूरजमुखी और पाम ऑयल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को शून्य से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया जो आज से लागू हो गया है. वहीं रिफाइंड तेलों पर इसे 12. 5 फीसदी से बढ़ाकर  32.5 फीसदी कर दिया गया है. नए बदलावों के बाद कच्चे सोयाबीन, सूरजमुखी और पाम ऑयल पर 5.5 फीसदी के बजाय 27.5 फीसदी और रिफाइंड तेलों पर 13.75 फीसदी के बजाय 35.75 फीसदी आयात शुल्क लगेगा.

70 फीसदी तिलहन आयात करता है भारत
भारत में जरूरत का 70 फिसदी तिलहन आयात होता है. अब तक आयात शुल्क इसलिए कम था ताकि वैश्विक स्तर पर बढ़ती महंगाई की मार लोगों पर कम पड़े. हालांकि इससे किसानों को लगातार घाटा हो रहा था. किसानों के घाटे को कम करने के लिए सरकार ने अब आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है. 

वहीं दूसरी तरफ किसानों ने भी तिलहन की बुवाई इस साल अधिक की है. 12 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक तिलहन की बुवाई का रकबा 1.2 फीसदी बढ़कर 1.92 करोड़ हेक्टेयर पर पहुंच गया है.

प्याज पर निर्यात की न्यूनतम भाव सीमा को वापस लिया
इसके अलावा सरकार ने प्याज पर निर्यात के न्यूनतम भाव की सीमा को वापस ले लिया है जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को फायदा होगा. खास तौर से इससे महाराष्ट्र के किसानों को फायदा होगा जहां इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं.

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