बुजुर्गों के लिए निर्मला सीतारमण ने खोल दिया खजाना, वरिष्ठ नागरिकों के लिए TDS सीमा 50 हजार से बढ़ाकर किया 1 लाख रुपये

Budget 2025: भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट 2025 में एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जो वरिष्ठ नागरिकों के लिए राहत देने वाली साबित हो सकती है. उन्होंने टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) की सीमा को बढ़ाकर 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये करने का ऐलान किया. यह कदम बुजुर्गों को वित्तीय राहत देने के साथ-साथ उनकी टैक्स संबंधी समस्याओं को हल करने में मदद करेगा.

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Budget 2025:  भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025 के बजट में एक अहम घोषणा की है, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज पर टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) की सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है. यह कदम बुजुर्गों को मिलने वाली आय पर टैक्स संबंधी बोझ को कम करेगा और उन्हें वित्तीय राहत प्रदान करेगा.

वरिष्ठ नागरिकों के लिए नई सीमा

वर्तमान में, यदि वरिष्ठ नागरिकों को किसी भी वित्तीय संस्थान या बैंक से ब्याज प्राप्त होता है और वह राशि 50,000 रुपये से अधिक होती है, तो उस पर टैक्स कटौती होती है. अब इस सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है, जिसका मतलब है कि अब वरिष्ठ नागरिकों को 1 लाख रुपये तक ब्याज पर कोई टैक्स कटौती नहीं होगी. इससे उन्हें अपनी पूरी आय का लाभ मिलेगा, और उन्हें अतिरिक्त टैक्स देने से छुटकारा मिलेगा.

टीडीएस नियमों में सरलता

वित्त मंत्री ने कहा कि उनका उद्देश्य टीडीएस नियमों को सरल और स्पष्ट बनाना है. उन्होंने बताया कि टैक्स डिडक्शन के लिए सीमा बढ़ाने से टैक्स की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और सभी के लिए इसे समझना आसान होगा. इसके अलावा, इससे टैक्स की व्यवस्था में स्पष्टता और एकरूपता आएगी, जिससे वरिष्ठ नागरिकों को किसी प्रकार की जटिलता का सामना नहीं करना पड़ेगा.

टैक्स सुधारों का उद्देश्य

निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि उनके प्रस्तावों का मुख्य उद्देश्य व्यवसायों की सुगमता बढ़ाना, स्वेच्छा से कर पालन को प्रोत्साहित करना और पालन में आसानियों को कम करना है. उन्होंने कहा कि इन प्रस्तावों के तहत व्यक्तिगत आयकर सुधारों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, साथ ही टीडीएस और टीसीएस को सरल बनाया जाएगा.

वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगा फायदा

यह कदम विशेष रूप से उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए लाभकारी है जो अपनी पेंशन और ब्याज से जीवन यापन करते हैं. अब उन्हें अपने ब्याज पर अतिरिक्त टैक्स नहीं देना होगा, जिससे उनकी आय का अधिकांश हिस्सा उन्हें मिल सकेगा. यह कदम बुजुर्गों के लिए आर्थिक राहत का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है.