Budget 2024: अब जमीन की होगी पहचान नंबर, जीआईएस मैपिंग, बजट में भूमि संबंधी बड़े सुधार का ऐलान
अपने सातवें बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार अगली पीढ़ी के सुधारों के साथ उच्च विकास को बनाए रखने की रणनीति को रेखांकित करने के लिए एक आर्थिक नीति रूपरेखा तैयार करेगी. इसमें उत्पादन, भूमि, श्रम और पूंजी के सभी कारकों को शामिल किया जाना है. इसके लिए केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग की आवश्यकता है.

संसद में केंद्रीय बजट 2024-25 पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़े ऐलान किए. वित्त मंत्री ने कहा कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में भूमि संबंधी सुधारों और कार्यों को उचित वित्तीय सहायता के माध्यम से अगले 3 वर्षों के भीतर पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. ग्रामीण क्षेत्रों में सभी जमीनों को पहचान संख्या दी जाएगी.
सीतारमण ने बताया कि ग्रामीण भूमि से संबंधित कार्यों में सभी भूमियों के लिए विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) या भू-आधार का आवंटन, कैडस्ट्रल मानचित्रों का डिजिटलीकरण, वर्तमान स्वामित्व के अनुसार मानचित्र उप-विभाजनों का सर्वेक्षण, भूमि रजिस्ट्री की स्थापना और किसानों की रजिस्ट्री से लिंक करना शामिल होगा. इन कार्यों से ऋण प्रवाह और अन्य कृषि सेवाओं में भी सुविधा होगी.
जीआईएस मैपिंग
शहरी भूमि से संबंधित कार्यों के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों को जीआईएस मैपिंग के साथ डिजिटल किया जाएगा. संपत्ति रिकॉर्ड प्रशासन, अद्यतनीकरण और कर प्रशासन के लिए एक आईटी आधारित प्रणाली स्थापित की जाएगी. उन्होंने कहा कि इससे शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति में भी सुधार होगा. स्थलीय मानचित्रों का डिजिटलीकरण, भूमि का सर्वेक्षण और भूमि रजिस्ट्री की स्थापना शामिल होगी. देश में शहरी निकायों के वित्त को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए शहरी क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड को भी डिजिटल किया जाएगा.
छह करोड़ किसानों को कवर करने की उम्मीद
सीतारमण ने कहा कि कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सफल पायलट परियोजना के बाद हम तीन वर्षों में किसानों और उनकी भूमि को कवर करने के लिए राज्यों के साथ साझेदारी करेंगे, उन्होंने कहा कि इस वर्ष इसे 400 जिलों में शुरू किया जाएगा. इस परियोजना के छह करोड़ किसानों को कवर करने की उम्मीद है. इसके अलावा, सरकार 11,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली परियोजनाओं के लिए त्वरित सिंचाई कार्यक्रम और अन्य स्रोतों के तहत सहायता प्रदान करेगी.