हर साल जब देश का बजट आना होता है तो अलग-अलग तरह के लोग इसे अलग-अलग नजरों से देखते हैं. सबको इसका इंतजार भी होता है. किसी को सरकारी योजनाओं का इंतजार होता है तो किसी को टैक्स में छूट की उम्मीद होती है. कोई सब्सिडी की राह निहार रहा होता है तो किसी को अलग-अलग तरह के टैक्सों की दरें कम होने की आशा होती है. इस साल बजट से पहले जिस चीज की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह है इनकम टैक्स रिटर्न के फॉर्म में धारा 80C के तहत मिलने वाली छूट में बढ़ोतरी की. 10 साल हो चुके हैं और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. मध्यम आय वर्ग के लोगों को उम्मीद है कि इस बार इसमें कुछ बदलाव होगा जिससे वे अपने और पैसे बचा सकेंगे.
दरअसल, इनकम टैक्स देने की कुछ सीमा होती है. आय के बढ़ते क्रम के अनुसार टैक्स भी बढ़ता जाता है. हालांकि, सरकार की ओर से कई तरह के निवेश और खर्चों पर टैक्स की छूट दी जाती है. धारा 80C के तहत ही यह छूट दी जाती है. मौजूदा समय में यह सीमा 1.5 लाख रुपये की है. यानी धारा 80C के तहत मिलने वाली छूट अधिकतम 1.5 लाख रुपये की हो सकती है. साल 2014 में भी यह छूट इतनी ही थी और 2024 में भी इतनी ही है. यानी इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. यही वजह है कि सबसे ज्यादा मांग इसी में बदलाव करने की हो रही है. लोगों को उम्मीद है अगर इसकी छूट सीमा बढ़ाई जाती है तो उन्हें और राहत मिल सकती है.
आसान भाषा में समझें तो यही वह नियम है जिसके तहत आपकी वह आय कम हो जाती है जिस पर टैक्स लगना है. उदाहरण के लिए अगर आपकी सालाना आय 10 लाख रुपये है और आप 1.5 लाख की छूट के लिए योग्य हैं तो आपको 10 लाख पर नहीं, 8.5 लाख रुपये की आय पर ही टैक्स देना होगा. इसके लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) और कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में निवेश करना होता है. यानी आप इन योजनाओं में निवेश करते हैं तो आपको टैक्स में छूट मिलते हैं.
आप इन योजनाओं में कम या ज्यादा निवेश कर सकते हैं लेकिन सभी योजनाओं को मिलाकर किए गए निवेश में से 1.5 लाख रुपये तक पर ही छूट मिलेगी. यानी अगर आपने इन योजनाओं में 1 लाख का निवेश किया तो आपको 1 लाख की छूट मिलेगी और 2, 3 या इससे ज्यादा कितना भी निवेश किया तो आपको अधिकतम 1.5 लाख रुपये की छूट मिलेगी. इसी धारा के तहत आपको बच्चों की स्कूल फीस, बीमा प्रीमियम और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पर भी छूट मिलती है.
बता दें कि इन सभी डिडक्शन का फायदा सिर्फ वही लोग ले सकते हैं जो पुराने टैक्स सिस्टम के तहत इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं. नई टैक्स व्यवस्था के तहत कोई छूट नहीं मिलती है क्योंकि उसमें स्लैब अलग रखे गए हैं. ऐसे में अगर आपको इन योजनाओं में निवेश करके टैक्स बचाना हो तो आपको पुराने टैक्स सिस्टम के तहत ही आईटीआर भरना होगा. इसके लिए आप विशेषज्ञ या चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह ले सकते हैं.
इस बार के लोकसभा चुनाव से मौजूदा सरकार को झटका लगा है. चुनाव नतीजों के बाद से ही मोदी सरकार ने कहना शुरू कर दिया है कि इस बार का बजट अलग होने वाला है. इसी के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि न सिर्फ टैक्स में छूट का दायरा बढ़ सकता है बल्कि 80C का सीमा भी बढ़ाई जा सकती है. उम्मीद जताई जा रही है कि 1.5 लाख रुपये की इस सीमा को 2.5 या तीन लाख भी किया जा सकता है.