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Budget 2024: हेल्थकेयर सेक्टर की मांग- मध्यम आय वर्ग परिवारों को भी मिले 'आयुष्मान भारत' जैसी योजनाओं का लाभ

बजट से ठीक पहले हेल्थ सेक्टर ने वित्त मंत्रालय के समक्ष अपनी कुछ मांगें रखी हैं जिनमें ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच, एक अलग स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचा कोष का निर्माण  और हेल्थ सेक्टर की चेन को मजबूत करना शामिल है.

Budget 2024: बजट जारी होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. देश के हेल्थ सेक्टर को इस बजट से काफी कुछ उम्मीदें हैं. बजट से ठीक पहले हेल्थ सेक्टर ने वित्त मंत्रालय के समक्ष अपनी कुछ मांगें रखी हैं जिनमें ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच, एक अलग स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचा कोष का निर्माण  और हेल्थ सेक्टर की चेन को मजबूत करना शामिल है.

'नॉन मेट्रो क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का हो विकास'

CARE हॉस्पिटल्स ग्रुप के ग्रुप सीईओ जसदीप सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि इस बजट में सरकार हेल्थकेयर इंडस्ट्री पर ध्यान केंद्रित करेगी.

उन्होंने कहा कि सरकार को नॉन मेट्रो क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग जरूरत पड़ने पर आसानी से स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ ले सकें. इससे न केवल स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा बल्कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं के समग्र सुधार में भी योगदान होगा.

त्वरित इंश्योरेंस क्लेम और AI पर ध्यान दे सरकार

हेक्साहेल्थ के सीईओ और सह-संस्थापक अंकुर गिग्रास ने कहा कि सरकार को नवीन चिकित्सा तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर ध्यान देना चाहिए ताकि ऑपरेशन के दौरान मरीजों के जीवन के स्तर में सुधार हो सके, इसके अलावा इंश्योरेश्स क्लेम के त्वरित निपटान को गति देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. इसके अलाना सरकार को हेल्थकेयर सेक्टर की प्रभावशीलता को बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए.

'मध्य वर्ग तक बढ़े आयुष्मान भारत स्कीम का दायरा'

वहीं शारदा अस्पताल के श्रेय श्रीवास्तव ने आयुष्मान भारत और ऐसी समान योजनाओं का दायरा मध्यम वर्ग तक बढ़ाने और निवारक स्वास्थ्य जांच पर टैक्स कटौती को 5,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति परिवार करने की मांग की.

मेडिकल सामानों के उत्पादन पर दिया जाए ध्यान

वहीं ट्रिविट्रॉन हेल्थकेयर समूह के सीईओ चंद्र गंजू ने कहा कि हम आज हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़े 80 से 85 प्रतिशत सामान का आयात करते हैं जिससे हमारा आयात बिल 63,200 करोड़ के पार पहुंच जाता है.  इसलिए सरकार को चाहिए कि वह घरेलू उत्पादन पर ध्यान दे, इससे न केवल आयात का खर्चा कम होगा बल्कि मेडिकल के क्षेत्र में हमारी आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी.