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India Daily

बाजार में 57 साल की बड़ी गिरावट, मंदी की आहट से बढ़ी घबराहट, फिर भी क्यों बेचैन होने की जरूरत नहीं, समझें पूरा मामला

Why share market is falling: वैश्विक बाजारों में गिरावट अमेरिकी मंदी और मिडिल ईस्ट में चल रही अशांति के फैलने की चिंताओं का परिणाम है. लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ भी गड़बड़ नहीं है. सोमवार को दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा मार्केट क्रैश देखने को मिला जो कि 57 साल बाद हुआ है. ऐसे में क्यों विशेषज्ञ खासतौर से भारतीय निवेशकों को परेशान होने से बचने की सलाह दे रहे हैं.

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Edited By: Vineet Kumar
Global market Crash
Courtesy: Freepik

Why share market is falling: भारतीय शेयर बाजार में पिछले दो दिनों से लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. सरकारी कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गई है. इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण वैश्विक स्तर पर हो रहे घटनाक्रम हैं.

57 साल की सबसे बड़ी गिरावट

अमेरिकी शेयर बाजार पहले से ही गिरावट के दौर से गुजर रहा है. इसके अलावा जापान और ताइवान के शेयर बाजारों में भी भारी गिरावट आई है. ताइवान का बेंचमार्क इंडेक्स 57 साल की सबसे बड़ी गिरावट का सामना कर रहा है. मई 2023 में 61,000 के स्तर से पिछले हफ्ते 82,000 तक पहुंचने वाले सेंसेक्स में जबरदस्त 34% की बढ़ोतरी के बाद निवेशकों के लिए सोमवार का दिन झटके वाला रहा.

सेंसेक्स दोपहर 1.45 बजे 78,929 पर था, जो 2,050 अंक यानी 2.5% की गिरावट है. हालांकि, बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है. यह गिरावट वैश्विक चिंताओं के कारण हुई है, न कि भारतीय अर्थव्यवस्था की कमजोरी के कारण. यह गिरावट अमेरिका में मंदी की चिंताओं, इज़राइल और ईरान सहित अन्य मध्य पूर्वी देशों के बीच बढ़ते तनाव जैसी वैश्विक चिंताओं के कारण हुई है. भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कोई चिंता नहीं है.

बाजार में गिरावट का क्या कारण है?

जैसा कि ऊपर लिखा है, गिरावट वैश्विक विकास और वर्तमान भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के बारे में चिंताओं के कारण हुई है. विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका में नौकरियों में कमी आने से मंदी की आशंका बढ़ गई है, जिससे वैश्विक बाजारों में कमजोरी शुरू हो गई थी. मध्य पूर्व में इज़राइल द्वारा कथित तौर पर ईरान समर्थित तीन प्रमुख हस्तियों की हत्या के बाद बढ़ते तनाव और ईरान के संभावित प्रतिशोध की आशंकाओं ने दुनिया भर के बाजारों पर दबाव डाला है.

भारतीय बेंचमार्क इंडेक्स में दिन भर में लगभग 3% या उससे अधिक की गिरावट आई, जबकि कई प्रमुख वैश्विक बाजारों में तेज गिरावट देखी गई. जापान में निक्केई सोमवार को 12% से अधिक गिर गया, और दक्षिण कोरिया का कोस्पी कंपोजिट इंडेक्स 8.8% गिर गया. यूरोपीय बाजारों में भी गिरावट देखी गई है. जर्मनी का GDAX 2.95%, फ्रांस का CAC 40 2.8% और यूके का FTSE 2.2% गिरकर खुला. अमेरिका में डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल इंडेक्स शुक्रवार को 1.5% गिर गया था.

जापान के सेंट्रल बैंक ने बढ़ाई ब्याज दर

इसके पीछे एक बड़ा कारण जापान के केंद्रीय बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ जापान के 14 साल बाद नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव करना भी माना जा रहा है. ब्याज दरों में बदलाव के बाद जापानी करेंसी येन में तेजी देखने को मिली है.

पीजीआईएम इंडिया एएमसी के सीआईओ-अल्टरनेटिव्स, अनिरुद्ध नाहा ने कहा, "जापान में ब्याज लागत में वृद्धि और येन में मजबूती से जुड़े वैश्विक जोखिमों ने कैरी ट्रेड को समाप्त कर दिया है. इसका वैश्विक इक्विटी पर असर पड़ेगा, और भारतीय इक्विटी पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है."

क्या होता है कैरी ट्रेड?

कैरी ट्रेड का मतलब है कि कम ब्याज दर पर येन को उधार लेकर उसे हाई रिटर्न्स वाले एसेट्स में इन्वेस्ट किया जाता है. इससे न सिर्फ कम ब्याज दरों वाली उधारी को खत्म किया जा रहा था बल्कि कैरी ट्रेड से अच्छा खासा मुनाफा भी कमाया जा रहा था. लेकिन, अब ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद फॉरेक्स ट्रेडर्स की इस रणनीति को झटका लगा है और उसी के चलते ग्लोबल मार्केट में उथल-पुथल देखने को मिल रही है.

क्या भारतीय निवेशकों को चिंतित होना चाहिए?

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कोई समस्या नहीं है और इस गिरावट का भारतीय अर्थव्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है. पिछले 12-15 महीनों में बाजार में काफी तेजी आई है, इसलिए इसे एक स्वस्थ सुधार के रूप में देखा जाना चाहिए. लंबी अवधि के निवेशकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है.

एक प्रमुख म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर ने कहा, "निवेशकों को इसे भारतीय बाजारों के लिए एक स्वस्थ सुधार के रूप में देखना चाहिए क्योंकि पिछले 12-15 महीनों में वे काफी बढ़ गए हैं. लंबी अवधि के निवेशकों को चिंता नहीं करनी चाहिए और बाजार में बने रहना चाहिए."

एडलवाइस एमएफ के अध्यक्ष और सीआईओ-इक्विटीज, तृदीप भट्टाचार्य ने कहा, "इक्विटी बाजार कुछ अमेरिकी उपभोक्ता-केंद्रित कंपनियों के निराशाजनक प्रदर्शन से उजागर हुई आर्थिक कमजोरी पर प्रतिक्रिया कर रहे हैं. आने वाले महीनों में इन घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रखना महत्वपूर्ण है."

हालांकि, निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है और कहां निवेश करना है, इस पर ध्यान देना चाहिए. साथ ही, भविष्य में शेयरों में उम्मीदें कम रखनी चाहिए.

निवेशकों को क्या करना चाहिए?

निवेशकों को घबराहट में शेयर बेचने से बचना चाहिए. खुदरा निवेशकों को दिन के कारोबार से दूर रहना चाहिए और फ्यूचर्स और ऑप्शन सेगमेंट में सट्टा लगाने से बचना चाहिए. वैश्विक अनिश्चितता के समय, खुदरा निवेशक सट्टा लगाकर नुकसान उठा सकते हैं.

यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सुधार के समय बड़ी कंपनियां चुनौतियों को नेविगेट करने के लिए बेहतर स्थिति में होती हैं. इसलिए निवेशकों को छोटी और मझोली कंपनियों पर दांव लगाने से बचना चाहिए. सोमवार दोपहर को जहां सेंसेक्स में लगभग 3% की गिरावट आई, वहीं बीएसई पर मिड और स्मॉल कैप इंडेक्स में क्रमशः 3.9% और 4.4% की गिरावट आई.

विशेषज्ञों ने कहा कि यह लार्ज कैप योजनाओं में चरणबद्ध तरीके से पैसा इन्वेस्ट करने का अच्छा समय है. हालांकि, निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए.

एक प्रमुख फंड हाउस के सीआईओ ने कहा, "चूंकि दुनिया भर में अनिश्चितता का माहौल है, इसलिए निवेशकों को केवल लार्ज कैप फंड या कंपनियों में ही धन लगाना चाहिए और मिड कैप और स्मॉल कैप फंड तथा इक्विटी से बचना चाहिए, क्योंकि वहां कुछ चिंताएं हैं."