Poverty: मानव सभ्यता की जब शुरुआत हुई थी तब गरीबी और अमीरी जैसे शब्द शब्दकोश में थे ही नहीं लेकिन तेजी से बढ़ती तकनीकी विकास के आगे हमने गरीबी और अमीरी के बीच इतनी बड़ी खाई खड़ी कर दी है कि उसे मिटाना संभव सा हो गया. विश्व बैंक और यूनिसेफ द्वारा गरीबी को लेकर एक शोध किया, जिसके आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया कि दुनिया में गरीबी की मार झेल रहे लोगों में हर दूसरा इंसान एक बच्चा है जो गरीबी में जीवन जीने के लिए मजबूर है.
विश्व बैंक और यूनिसेफ की रिपोर्ट में बताया गया कि दुनिया में गरीबी की मार झेल रहे लोगों में सबसे ज्यादा बच्चे हैं. गरीबी लोगों में बच्चों का प्रतिशत ज्यादा है. विश्व में जितने भी लोग गरीबी है उनमें 52.5 फीसदी बच्चे शामिल हैं. आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि विकसित होती तकनीक के साथ हम कितना पीछे जा रहे हैं.
गरीबी में जीवन जीने वाले बच्चों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. ये अनुपात तेजी के साथ बढ़ रहा है. 2013 की रिपोर्ट में अत्यंत गरीबी में गुजरा करने वालों में बच्चों की आबादी 47.3 फीसदी थी वहीं 2022 में ये आंकड़ा 52.5 फीसदी हो चुका है.
विश्व बैंक और यूनिसेफ ने तीसरी बार बच्चों और गरीबी को लेकर मूल्यांकन किया. इससे पहले 2016 और 2020 में दोनों एजेंसी सर्वे कर चुकी हैं. हालिया विश्लेषण एक दिन में जीवन यापन के लिए विश्व बैंक द्वारा अपनाई गई 2.15 डॉलर की नई रेखा पर किया गया है.
ताजा आंकड़ों में साफ झलक रहा है कि बच्चों की गरीबी का अनुपात तेजी के साथ बढ़ रहा है. वयस्कों के मुकाबले गरीबी बच्चों की संख्या बहुत तेजी के साथ बढ़ रही है. 2022 में जिन घरों में गरीब बच्चे रह रहे थे उनका आंकड़ा 15.9 फीसदी रहा जबकि वयस्कों का यह आंकड़ा मात्र 6.6 फीसदी रहा.
रिपोर्ट की मानें तो वयस्कों के मुकाबले बच्चे अत्यधिक गरीबी में रहने को मजबूर हैं. बच्चे ज्यादा गरीबी में अपना जीवन गुजार रहे हैं. पूरी आबादी में बच्चों की हिस्सेदारी मात्र 31 फीसदी है.
भारत में बच्चों की गरीबी के आंकड़ों की बात करें तो हमारे देश में 11.5 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो गरीब घर में रहने को मजबूर हैं. देश के 5.2 करोड़ बच्चे गरीबी में जीने को मजबूर हैं. पिछले पांच साल के आंकड़े तो और हैरान कर देने वाले हैं. अत्यधिक गरीबी की मार झेल रहे घरों में रहने वाले 9.9 करोड़ बच्चों की उम्र 5 साल या उससे कम है.
अक्टूबर 2022 में गरीबी को लेकर यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव की ओर से एक रिपोर्ट पेश की गई थी. इस रिपोर्ट में अलग-अलग देशों की गरीबी का डाटा शेयर किया गया था. भारत को लेकर कहा गया था कि बीते 15 वर्षों में करीब 41.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं. यानी इनके जीवन जीने के तरीके में सुधार हुआ है.
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