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आधार इनेबल्ड फ्रॉड पर लगेगी लगाम! RBI ने बैंकों के लिए जारी किए नए नियम

RBI proposed new rules for banks: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आधार आधारित भुगतान प्रणाली (AePS) धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए एक नया कदम उठाया है. बैंक अब एईपीएस टचपॉइंट ऑपरेटरों को शामिल करने के लिए दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष भारत में साइबर घोटालों में AePS धोखाधड़ी का हिस्सा 11 प्रतिशत था.

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Edited By: India Daily Live
RBI AEPS
Courtesy: IDL

RBI proposed new rules for banks: एटीएम की ही तरह आधार कार्ड के जरिए आप पैसे निकाल सकते हैं, ये सुविधा देता है एपीएस (Aadhaar Payment System). लेकिन इसी सुविधा का दुरुपयोग हो रहा है, जिससे परेशान होकर भारतीय रिजर्व बैंक ने एजेंट्स के लिए नये नियम बनाए हैं.

आखिर क्या है एपीएस सिस्टम

एपीएस के जरिए आप बिना डेबिट कार्ड के सिर्फ अपने आधार नंबर और फिंगरप्रिंट के जरिए पैसे निकाल सकते हैं. इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने शुरू किया था. लेकिन इसी आसानी का फायदा उठाकर स्कैमर पैसे चोरी कर रहे हैं.

संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि एपीएस धोखाधड़ी को रोकने के लिए यूआईडीएआई ने आधार को लॉक करने की सुविधा दी है. जिससे बायोमेट्रिक्स का दुरुपयोग नहीं हो सके. इसके अलावा बैंक को भी सतर्क रहने को कहा गया है.

एपीएस धोखाधड़ी की बढ़ती समस्या

एपीएस के जरिए धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है. अपराधी तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों के बायोमेट्रिक डेटा को चुरा रहे हैं और उनके खातों से पैसे निकाल रहे हैं. यह समस्या विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में गंभीर है जहां लोगों में तकनीकी जागरूकता कम होती है.

धोखेबाज अक्सर स्थानीय एजेंटों को रिश्वत देकर या धमकाकर उनसे ग्राहक जानकारी हासिल करते हैं. कुछ मामलों में एजेंट खुद ही धोखाधड़ी में शामिल होते हैं. एक बार जब उनके पास बायोमेट्रिक डेटा होता है, तो वे क्लोनिंग तकनीक का उपयोग करके नकली फिंगरप्रिंट बना सकते हैं.

एपीएस धोखाधड़ी के तरीके

  • बायोमेट्रिक डेटा चोरी: अपराधी विभिन्न तरीकों से लोगों के बायोमेट्रिक डेटा, विशेष रूप से फिंगरप्रिंट, चोरी करते हैं. इसमें सरकारी दस्तावेजों, स्मार्टफोन और अन्य स्रोतों से डेटा एकत्र करना शामिल है.
  • एपीएस एजेंटों की मिलीभगत: कुछ मामलों में, एपीएस एजेंट भी धोखाधड़ी में शामिल पाए गए हैं. वे ग्राहकों के बायोमेट्रिक डेटा को अपराधियों के साथ साझा करते हैं, जिससे उन्हें धनराशि निकालने में मदद मिलती है.
  • फिशिंग और सोशल इंजीनियरिंग: साइबर अपराधी अक्सर फिशिंग हमलों और सोशल इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग करके लोगों को उनके व्यक्तिगत जानकारी और बैंक विवरण देने के लिए धोखा देते हैं.

RBI की ओर से उठाए गए कदम

एपीएस धोखाधड़ी को रोकने के लिए RBI ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • एपीएस टचपॉइंट ऑपरेटरों की ऑनबोर्डिंग में कड़ी जांच: बैंकों को एपीएस एजेंटों की पृष्ठभूमि की जांच करने और उनके लेनदेन की निगरानी करने के लिए कहा गया है.
  • केवाईसी अपडेशन: अगर कोई व्यक्ति लगातार छह महीने तक एपीएस से पैसे का लेन-देन नहीं करता है तो बैंक उसका केवाईसी दोबारा से अपडेट करेगा, तभी वो फिर से एपीएस का इस्तेमाल कर पाएगा.
  • एक बैंक, एक एजेंट: एक एजेंट केवल एक ही बैंक के लिए एपीएस का काम कर सकेगा. बैंक को यह भी देखना होगा कि एजेंट कितने ट्रांजैक्शन कर रहा है, उसका रिकॉर्ड भी रखना होगा.
  • लेनदेन सीमाएं: बैंकों को एपीएस एजेंटों द्वारा किए जाने वाले लेनदेन की सीमा निर्धारित करनी होगी.
  • बायोमेट्रिक सुरक्षा: UIDAI ने बैंकों को फिंगर मिनुटिया रिकॉर्ड (FMR) - फिंगर इमेज रिकॉर्ड (FIR) को लागू करने की सलाह दी है, जो फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण की सुरक्षा को बढ़ाएगा.
  • अतिरिक्त सुरक्षा उपाय: बैंकों को ग्राहकों को एपीएस डेबिट लेनदेन को सक्षम या अक्षम करने के लिए कई विकल्प प्रदान करने होंगे.

सुरक्षा के उपाय, ग्राहकों को जागरुक रहने की जरूरत

एपीएस धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार और बैंक कई कदम उठा रहे हैं, लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं. यूआईडीएआई ने आधार को लॉक करने की सुविधा प्रदान की है, लेकिन कई लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है. बैंकों को भी अपने ग्राहकों को जागरूक करने और सुरक्षा के उपायों के बारे में बताने की जरूरत है.

ग्राहुकों को भी सतर्क रहने की जरूरत है. उन्हें अपने आधार कार्ड की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए और किसी को भी अपना बायोमेट्रिक डेटा नहीं देना चाहिए. अगर कोई संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे तो तुरंत बैंक से संपर्क करना चाहिए.

भविष्य की चुनौतियां

एपीएस एक सुविधाजनक भुगतान माध्यम है, लेकिन धोखाधड़ी के बढ़ते खतरों के कारण इसकी सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है. तकनीक के विकास के साथ, धोखेबाज भी नए तरीके खोज रहे हैं. इसलिए, सरकार, बैंकों और ग्राहकों को लगातार सतर्क रहने और नए खतरों से निपटने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है. एपीएस को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा. केवल तभी हम इस डिजिटल भुगतान प्रणाली के लाभों का पूरा फायदा उठा सकते हैं.