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गन्ना पेराई सीजन से पहले 45 सहकारी चीनी मिलें होंगी बंद, पहली बार इतनी बड़ी संख्या में क्यों बंद की जा रहीं मिलें

गन्ना पेराई सत्र 1 नवंबर से शुरू होगा, इससे ठीक पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 45 सहकारी चीनी मिलों को बंद करने का नोटिस भेजा है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
गन्ना पेराई सीजन से पहले 45 सहकारी चीनी मिलें होंगी बंद, पहली बार इतनी बड़ी संख्या में क्यों बंद की जा रहीं मिलें

गन्ना पेराई सत्र 1 नवंबर से शुरू होगा, इससे ठीक पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 45 सहकारी चीनी मिलों को बंद करने का नोटिस भेजा है. यह पहली बार है इतनी बड़ी संख्या में चीनी मिलों को बंद करने का नोटिस दिया गया है.

सीपीसीबी ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के घोर उल्लंघन के लिए महाराष्ट्र में 45 सहकारी चीनी मिलों को बंद करने का आदेश दिया है. बता दें कि महाराष्ट्र में कुल 190 चीनी मिलें हैं जिनमें से 105 चालू हैं.

बिजली सप्लाई भी होगी बंद

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीपीसीबी उम्मीद कर रहा था कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा और इन्हें बंद करना सुनिश्चित करेगा. साथ ही राज बिजली बोर्ड से इनकी सप्लाई बंद करने को कहेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसके बाद अब सीपीसीबी ने खुद एक्शन लिया है.


सीपीसीबी ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इन 45 चीनी मिलों का निरीक्षण करने और सत्यापन करने को भी कहा है. साथ ही बोर्ड ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि ये सभी चीनी इकाइयां निर्देश को रद्द किए बिना किसी भी परिस्थिति में आगामी पेराई सत्र 2023-24 के दौरान अपना परिचालन शुरू न करें.

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 10 नवंबर 2023 से पहले लिए गए एक्शन की रिपोर्ट भी सौंपने को कहा गया है. सीपीसीबी के नोटिस पर महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी कारखाना महासंघ के अध्यक्ष पी आर पाटिल ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, 'मुझे ऐसे किसी भी नोटिस की जानकारी नहीं है. हम अपने सदस्यों के साथ इस पर चर्चा करेंगे और फिर आगे की कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे.'

मिलों को बंद करना मुश्किल

नोटिस को लेकर एक अधिकारी ने कहा ऐसा नहीं है कि ऐसा नहीं है कि केवल शरद पवार गुट या कांग्रेस की सहकारी चीनी मिलों को ही निशाना बनाया गया है, लिस्ट में भाजपा संबंधित चीनी मिलों का भी नाम है.

उन्होंने आगे कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि सीपीसीबी ने चीनी मिलों को बंद करने का आदेश दिया है लेकिन मिलों को बंद करना मुश्किल होगा क्योंकि सभी मिलों के मालिक बहुत शक्तिशाली हैं और राजनीतिक रसूख वाले हैं.

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