Pharming Scam: देश में बढ़ते साइबर स्कैम बढ़ते ही जा रहे हैं. एक नय स्कैम आया है जो फार्मिंग स्कैम के नाम से जाना जाता है. यह एक तरह का ऑनलाइन स्कैम है जो मैलवेयर कोड्स को किसी वेबसाइट या फिर नेटवर्क सर्वर में डाल देता है. इस तरह की वेबसाइट्स यूजर्स को गुमराह करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं और यह मैलवेयर यूजर्स को उनकी मर्जी के बिना ही उन्हें वेबसाइट पर लेकर चला जाता है.
इस तरह के स्कैम में किसी भी लिंक पर क्लिक करने की जरूरत नहीं पड़ती है. ये वेबसाइट्स इसी तरह से डिजाइन की जाती हैं कि ये असली लगे. इस तरह की वेबसाइट्स पर यूजर्स अपनी निजी जानकारी डालकर लॉगइन करते हैं और फिर उनकी डिटेल्स चोरी हो जाती हैं. फार्मिंग स्कैम कैसे काम करता है, चलिए जानते हैं.
फार्मिंग स्कैम में हैकर्स डोमेन नेम सिस्टम (DNS) पर निशाना साधते हैं और वेबसाइट के एड्रेस को बदल देते हैं, जिससे यूजर्स सही वेबसाइट की बजाय नकली वेबसाइट पर पहुंच जाते हैं.
डीएनएस पॉइजनिंग: हैकर्स डीएनएस सर्वर पर अटैक करते हैं और फिर वेबसाइट के एड्रेस को बदल देते हैं.
मैलवेयर इंजेक्शन: हैकर्स वेबसाइट में संदिग्ध कोड इंजेक्ट करते हैं, जो यूजर्स को नकली वेबसाइट पर ले जाता है.
सीएमएस हैकिंग: वेबसाइट के कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम (सीएमएस) में सेंध लगाते हैं और फिशिंग पेज बनाते हैं.
फिशिंग अटैक: फेक वेबसाइट पर यूजर्स की पर्सनल जानकारी चोरी कर ली जाती है.
जिस वेबसाइट पर जा रहे हैं उसके एड्रेस को चेक करें.
यूआरएल में HTTPS का इस्तेमाल होना जरूरी है.
वेबसाइट की सिक्योरिटी की जांच करें.
किसी भी तरह के संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें.
किसी की निजी व्यक्तिगत जानकारी कभी भी ऑनलाइन नहीं भरनी चाहिए.
अपने कंप्यूटर और ब्राउजर को अपडेट रखें.
किसी भी तरह की संदिग्ध एक्टिविटी की रिपोर्ट करें.