आखिर क्या बला है Cyber Slavery, कैसे बचें इससे? DETAILED स्टोरी
अब हैकर्स इतने ज्यादा शातिर हो गए हैं कि वो साइबर फ्रॉड कर नहीं रहे हैं बल्कि लोगों को झांसे में फंसाकर फ्रॉड करा रहे हैं। इसी तरह का एक मामला सामने आया है जिसे Cyber Slavery कहा जा रहा है।
Cyber Slavery: साइबर फ्रॉड कितनी तेजी से बढ़ रहे हैं ये तो हम सभी जानते हैं. हर दिन कोई न कोई नया मामला सामने आ ही जाता है. हैकर्स फ्रॉड करने के लिए कई तरीके इजाद कर रहे हैं. अब एक नया मामला सामने आया है जिसे साइबर स्लेवरी का नाम दिया गया है. इस मामले में लोगों को फंसाकर उन्हें कंबोडिया बुलाया जा रहा है और फिर उनसे साइबर फ्रॉड कराया जा रहा है. चलिए जानते हैं इस पूरे मामले के बारे में.
क्या है पूरा मामला: ओडिशा के राउरकेला में साइबर स्लेवरी का मामला सामने आया है जिसमें एक इंटरनेशनल साइब्रर फ्रॉड गैंग पकड़ा गया है. ये गैंग भारतीय लोगों को नौकरी देने का दावा करता है और उन्हें कंबोडिया बुलाता है. यहां से ऐसे लोगों को नौकरी का झांसा दिया जाता है जो कंप्यूटर के काम में एक्सपर्ट होते हैं. नौकरी का झांसा देकर इन्हें कंबोडिया लाया जाता है और फिर यहां पर इनसे साइबर फ्रॉड कराया जाता है. इसे ही साइबर स्लेवरी कहा जाता है.
क्या है गैंग के काम करने का तरीका?
मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने बताया है कि जो कंपनियां इस तरह की धोखाधड़ी करती हैं अक्सर उनके मालिक चीन से ही होते हैं. इसके लिए कुछ लोगों को हायर किया जाता है. इसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, भारत और कंबोडिया के लोग शामिल होते हैं. फिर ये लोग दूसरे लोगों से कॉन्टैक्ट करते हैं और उन्हें डाटा-एंट्री नौकरी देने का झांसा देते हैं. उनसे कहा जाता है कि कंबोडिया में काम करने के काफी अवसर है और वहां पैसा भी अच्छा मिलता है. लोग इस झांस में आ जाते हैं और फिर उनके पैसा कमाने के लालच में कंबोडिया पहुंच जाते हैं.
कंबोडिया पहुंचने के बाद उनके पासपोर्ट भी जब्त कर लिए जाते हैं. अब जब पासपोर्ट ही नहीं होता है तो उनके पास कोई चारा नहीं रह जाता है और उन्हें हैकर्स के कहे मुताबिक काम करना पड़ता है. लोगों को डरा-धमका कर 12 घंटे तक काम कराया जाता है. अगर कोई भी व्यक्ति ये काम करने से मना करता है तो उसे टॉर्चर किया जाता है. या तो उन्हें इलेक्ट्रिक शॉक दिए जाते हैं या फिर उन्हें अकेले किसी जेल में बंद कर दिया जाता है. यही नहीं, उन्हें भूखा भी रखा जाता है.
कब सामने आया मामला:
यह मामला तब सामने आया जब ओडिशा में राउरकेला पुलिस ने पिछले साल 30 दिसंबर को एक साइबर फ्रॉड सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया गया. इसमें 8 लोगों के गिरफ्तार किया गया जो लोगों को झांस देकर कंबोडिया ले जाते थे. मामले की जांच कर रहे एक अधिकारी के अनुसार, यह मामला केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी की शिकायत पर दायर किया है. इसमें उनके साथ 70 लाख रुपये की ठगी की गई थी. पुलिस ने बताया कि उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों से 8 लोगों को गिफ्तार किया है. सिर्फ यही नहीं, 16 लोगों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया था. वहीं, ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन ने दो लोगों को हरिश कुरापिता और नागा वेंकट को गिरफ्तार किया है जो कंबोडिया से वापस लौट रहे थे. इस मामले की जांच गंभीरता से चल रही है.
सरकार उठा रही कड़े कदम:
केंद्रिय गृह मंत्रालय के साइबर विंग I4C ने इन मामलों की जांच शुरू कर दी है. साथ ही कंबोडिया में फंसे भारतीयों को वापस लाने की भी बात कही जा रही है. इसके लिए सरकार ने विदेश मंत्रालय के साथ मीटिंग भी की है. कंबोडिया में जिन लोगों के साथ साइबर स्लेवरी हो रही है उन्हें वापस लाने की बात कही गई है और इस पर सरकार कड़े से कड़ा कदम उठाने पर काम कर रही है. सूत्रों के अनुसार, करीब 4 से 5 हजार लोग ऐसे हैं जिन्हें भारत से कंबोडिया झांसा देकर ले जाया गया है. इन लोगों से जबरदस्ती साइबर फ्रॉड कराया जा रहा है. सरकार इन सभी लोगों को वापस लाने का रोडमैप तैयार कर रही है.
कैसे बचें:
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इस तरह के मामलों से बचने के लिए आपको सबसे पहले तो यह ध्यान रखना होगा कि हर नौकरी का ऑफर अच्छा नहीं होता है.
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अगर कोई ऑफर Too Good To Be True है तो उसे इग्नोर करें.
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ज्यादा पैसे का लालच सही नहीं है तो ऐसे ऑफर्स को हजार बार चेक करें.
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अपने देश से बाहर जाकर काम करने के मौके पर हजार बार विचार-विमर्श करें.