Pros and Cons of Satellite Phone: देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी ने भारत में जियो की नींव रखकर टेलिकॉम क्षेत्र में एक ऐसी क्रांति लाई जिसके चलते हर व्यक्ति के पास 3G और 4G नेटवर्क पहुंच गया. नतीजन अब भारत में ज्यादा डेटा यूजर हैं और इंटरनेट बेस्ड किसी भी कांटेंट को भारी मात्रा में कन्ज्यूम करते हैं. अब देश में 5G नेटवर्क लाने का प्लान करने वाली इस कंपनी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि वो जल्द ही ग्राहकों के लिए सैटेलाइट बेस्ड कम्युनिकेशंस की शुरुआत कर सकती है.
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रिपोर्ट के अनुसार कंपनी सैटेलाइट बेस्ड गीगाबिट फाइबर सर्विस को शुरू कर सकती है जिसके लिए उसे ‘इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) से जल्द ही परमिशन मिल सकती है. अगर जियो इस कदम को उठाने में कामयाब हो जाती है तो ये कम्यूनिकेशन के क्षेत्र का क्रांतिकारी कदम होगा. ऐसे में आज हम आपको इस नई सर्विस के आ जाने से होने वाले फायदे और नुकसान दोनों के बारे में बताने जा रहे हैं.
दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी: सैटेलाइट फोन उन दूरदराज के क्षेत्रों में संचार प्रदान कर सकते हैं जहां पारंपरिक टेलीकॉम टावर नहीं पहुंच पाते हैं. इससे पहाड़ी इलाकों, जंगलों, रेगिस्तानों और समुद्री इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए मदद और आपातकालीन सेवाओं तक पहुंच सुलभ हो सकती है.
आपदा में भी काम करेगा कनेक्शन: प्राकृतिक आपदाओं, दंगों या बड़े पैमाने की बिजली कटौती जैसी स्थितियों में जब पारंपरिक टेलीकॉम नेटवर्क ठप हो जाते हैं, तब सैटेलाइट फोन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इससे बचाव दल और आपातकालीन सेवाएं प्रभावित क्षेत्रों से संपर्क और समन्वय बनाए रख सकती हैं.
सरकारी सुरक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा पार संचार के लिए भी सैटेलाइट फोन महत्वपूर्ण हैं. रक्षा कर्मी, नौसेना, वायुसेना और खुफिया विभाग दूरदराज के स्थानों से सुरक्षित संचार के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं.
कॉर्पोरेट उपयोग: दूरदराज के इलाकों में काम करने वाले खनन उद्योग, तेल अन्वेषण, निर्माण कंपनियों और पर्यटन कारोबार के लिए भी सैटेलाइट फोन संचार का एक विश्वसनीय माध्यम हो सकता है.
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उच्च लागत: सैटेलाइट फोन का निर्माण और रखरखाव पारंपरिक मोबाइल फोन की तुलना में अधिक खर्चीला होता है. इसलिए, फोन की कीमत और कॉल दर पारंपरिक सेवाओं से काफी अधिक हो सकती है.
कम कॉल क्वालिटी: धरती से उपग्रह की दूरी के कारण, सैटेलाइट फोन से की गई कॉल में देरी और खराब आवाज की समस्या हो सकती है. खासकर, पहाड़ी इलाकों में या वाहनों का हिलाव होने पर संचार बाधित हो सकता है.
बैटरी जीवन: सैटेलाइट फोन के सिग्नल को मजबूत बनाए रखने के लिए अधिक शक्ति की आवश्यकता होती है, जिससे उनके बैटरी लाइफ पारंपरिक फोन की तुलना में कम हो सकती है. दूरदराज के क्षेत्रों में लंबे समय तक रहने के लिए अतिरिक्त बैटरी ले जाना जरूरी हो सकता है.
नियमन और लाइसेंस: कुछ देशों में सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है. इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय कॉल करने के लिए अलग से नियम और शुल्क लागू हो सकते हैं.
आसान भाषा में कहें तो सभी के लिए सैटेलाइट फोन उपलब्ध कराने से दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और आपातकालीन संचार में सुधार हो सकता है. हालांकि, उच्च लागत, कम कॉल क्वालिटी और नियामक जटिलताओं के कारण यह हर किसी के लिए व्यावहारिक विकल्प नहीं हो सकता है. इसलिए, इस निर्णय को लेने से पहले लागत, आवश्यकताओं और उपयोग के मामलों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना आवश्यक है.