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जहरीले सांप ने काटा है या नहीं, स्मार्टफोन से चलेगा पता! वैज्ञानिकों ने निकाल लिया तरीका

Snakebite Tests Technology: जरा सोचिए, कोई ऐसी टेक्नोलॉजी हो जिसके जरिए सांप के काटने के बाद ये पता चल पाए कि किसी जहरीले सांप ने काटा है या नहीं, तो कितना बढ़िया होगा. वैसे यह हो गया है और गुवाहाटी की तेजपुर यूनिवर्सिटी और इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के रिसर्चर्स ने इस नई टेक्नोलॉजी को डेवलप किया है.

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Edited By: Shilpa Srivastava
Snakebite Tests Technology

Snakebite Tests Technology: स्नेकबाइट यानी सांप के काटे हुए मामले हमें बहुत ज्यादा मिल जाते हैं. ऐसे लोगों की मदद करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नई टेक्नोलॉजी डेवलप की है जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति को जहरीले सांप ने काटा है या किसी बिना जहर वाले सांप ने और वो भी 4 घंटे के अंदर. 

स्मार्टफोन-आधारित इस तरीके को इंडियन कोबरा, कॉमन क्रेट, रसेल वाइपर, सॉ-स्केल्ड वाइपर और इंडियन मोनोक्लेड कोबरा के काटने की पहचान करने के लिए डिजाइन किया गया है. फिलहाल, गांवों की क्लीनिकों में डॉक्टर यह चेक करने के लिए अपने एक्सपीरियंस पर निर्भर होते हैं कि व्यक्ति को जहरीले सांप ने काटा है या नहीं. अभी तक ऐसी पहचान के लिए कोई कमर्शियल किट उपलब्ध नहीं है.

इस यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने की पहचान: 

गुवाहाटी की तेजपुर यूनिवर्सिटी और इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के रिसर्चर्स ने इस नई टेक्नोलॉजी को डेवलप किया है जो न केवल यह बता सकता है कि व्यक्ति को किसी जहरीले सांप ने काटा है या नहीं, बल्कि शरीर में जहर की मात्र लगभग कितनी है, यभी बता सकता है. इससे डॉक्टरों को एंटी-वेनम कितना देना है, यह समझने में मदद मिलेगी. 

गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर और डायरेक्टर आशीष कुमार मुखर्जी के अनुसार, इस टेक्नोलॉजी के जरिए रिजल्ट मिलने में करीब 10 से 15 मिनट लगते हैं. सांप के काटने के चार घंटे के अंदर टेस्ट किया जा सकता है. 

बता दें कि सांप के काटने को दो तरह से कैटेगराइज किया गया है जिसमें एक गीला और दूसरा सूखा है. जहरीले सांप के काटने को वेट बाइट में डाला गया है जिससे कुछ लक्षण दिखाई देते हैं और मृत्यु का खतरा भी रहता है. वहीं, ड्राई बाइट की स्थिति में कोई भी साइन नहीं दिखता है. 

हर साल होती हैं 46,900 मौतें: 

हाल ही में भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा किए गए मिलियन डेथ स्टडी ने अनुमान लगाया है कि भारत में विषैले सांपों के काटने से हर साल लगभग 46,900 मौतें होती हैं. हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है. भारत में करीब 52 घातक प्रजाति के सांप पाए जाते हैं लेकिन ज्यादातर सांप के कांटने का कारण भारतीय कोबरा (नाजा नाजा), कॉमन क्रेट (बंगारस कैर्यूलस), रसेल वाइपर (डाबोइया रसेली रसेली) और सॉ-स्केल्ड वाइपर (इचिस कैरिनेटस) हैं, जिन्हें बिग फोर कहा जाता है. यह टेस्ट पांचवें सांप, भारतीय मोनोक्लेड कोबरा (नाजा कौथिया) के लिए भी लागू होता है, जो नॉर्थ ईस्ट में बहुत आम बात है. 

वैज्ञानिकों ने इस नई टेक्नोलॉजी पर पेटेंट दायर कर दिया है. इसे स्मार्टफोन में एक ऐप के जरिए उपलब्ध कराए जाने का प्लान किया जा रहा है.