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Google को ही खत्म करना चाहता है अमेरिका? समझिए आखिर ऐसा क्या हो रहा है

USA wants to break Google: अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए टेक्नोलॉजी दिग्गज गूगल को तोड़ने की संभावना पर विचार कर रहा है. यह कदम एक अदालत के उस फैसले के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि कंपनी ने ऑनलाइन सर्च बाजार में एकाधिकार कायम किया है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले से परिचित सूत्रों ने यह जानकारी दी है.

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: Google

USA wants to break Google: अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) की ओर से गूगल के खिलाफ संभावित एंटीट्रस्ट कार्रवाई की खबर ने टेक्नॉलजिकल इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है. यह मामला न केवल गूगल के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि पूरे टेक्नॉलजिकल लैंडस्केप को बदल सकता है.

इस वजह से टूट सकता है गूगल

जैसा कि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है, डीओजे ने गूगल को तोड़ने की संभावना पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है. यह कदम एक ऐतिहासिक निर्णय होगा जो 1980 के दशक में AT&T के ब्रेकअप के बाद से किसी अमेरिकी कंपनी के खिलाफ सबसे बड़ी एंटीट्रस्ट कार्रवाई होगी. यह कदम जिला न्यायाधीश अमित मेहता के उस फैसले के बाद आया है, जिसमें पाया गया कि गूगल ने ऑनलाइन खोज और सर्च विज्ञापन बाजारों में एकाधिकार का दुरुपयोग किया है.

किन ऑप्शनों हो रहा है विचार

डीओजे की ओर से विचार किए जा रहे संभावित उपायों में कई ऑप्शन शामिल हैं:

गूगल को तोड़ना: सबसे कठोर ऑप्शनों में से एक गूगल को उसके मेन कॉम्पोनेंट्स में बांट देना है. एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम और क्रोम वेब ब्राउजर दो प्रमुख उम्मीदवार हैं जिन्हें कंपनी से अलग किया जा सकता है. ये दोनों प्रोडक्ट गूगल के व्यापक टेक इकोसिस्टम का आधार हैं.

एड बिजनेस को अलग करना: एक अन्य ऑप्शन गूगल के एड बिजनेस, विशेष रूप से एडवर्ड्स (अब गूगल ऐड्स) को अलग करना है. यह गूगल के लिए एक प्रमुख अर्निंग सोर्स है और इसे अलग करना कंपनी की पावर को कम कर सकता है.

डेटा शेयरिंग: एक कम कठोर ऑप्शन में गूगल को अपने डेटा को कॉम्पिटिटर्स के साथ शेयर करने का आदेश देना शामिल है. यह प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे सकता है और गूगल की मार्केट पावर को कम कर सकता है.

एक्सक्लूसिव कॉन्ट्रैक्ट्स पर बैन: गूगल ने एप्पल और सैमसंग जैसी कंपनियों के साथ अरबों डॉलर के एक्सक्लूसिव कॉन्ट्रैक्ट किए हैं, जिससे गूगल का सर्च इंजन इन डिवाइसेस पर डिफॉल्ट बन गया है. डीओजे इन कॉन्ट्रैक्ट्स पर बैन लगा सकता है.

एआई डवलेपमेंट पर बैन: गूगल की अपनी खोज क्षमता के कारण एआई तकनीक में बढ़त हासिल करने की क्षमता पर भी चिंताएं हैं. डीओजे गूगल को अपनी एआई प्रोडक्टों के लिए वेबसाइटों की सामग्री का उपयोग करने से रोक सकता है.

गूगल की पावर करने से होने वाले प्रभाव और चुनौतियां

यदि गूगल को तोड़ दिया जाता है, तो इसका प्रभाव व्यापक होगा. यह टेक इंडस्ट्री के लैंडस्केप को बदल सकता है और कन्ज्यूमर्स, बिजनेस और सरकारों के लिए नए अवसर पैदा कर सकता है. हालांकि, इस तरह के एक बड़े पैमाने के बदलाव में कई चुनौतियां भी हैं.

गूगल ने पहले ही इस फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना की घोषणा कर दी है. कंपनी का तर्क है कि उसकी सफलता उसके प्रोडक्टों की क्वालिटी के कारण है, न कि किसी गलत व्यवहार के कारण.

यह मामला आने वाले महीनों और वर्षों में कानूनी लड़ाई का विषय रहेगा. इसका परिणाम न केवल गूगल के भविष्य को बल्कि पूरे टेक इंडस्ट्री के भविष्य को निर्धारित करेगा.

इस मामले का नतीजा टेक इंडस्ट्री के रेगुलेशन और कॉम्पिटिशन के मुद्दे पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे डीओजे इस मामले को आगे बढ़ाता है और क्या यह अन्य तकनीकी दिग्गजों के लिए एक उदाहरण बनता है. गूगल के खिलाफ एंटीट्रस्ट कार्रवाई एक जटिल और महत्वपूर्ण मामला है. इसका परिणाम तकनीकी इंडस्ट्री के भविष्य को आकार दे सकता है. यह देखना बाकी है कि यह मामला कैसे आगे बढ़ता है और इसका क्या प्रभाव पड़ता है.