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2 साल से कम के बच्चे को नहीं दिखाई जाएगी स्क्रीन, इस देश ने लगाया बैन

Screen Time: बच्चों का स्क्रीन टाइम बहुत ज्यादा हो गया है जिससे उनकी सेहत और आंखों पर असर पड़ रहा है. इसे एक ग्लोबल परेशानी कही जा सकती है. इससे निपटने के लिए स्वीडन की पब्लिक हेल्थ एजेंसी ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिससे बच्चों और टीनएजर्स के स्क्रीन टाइम को रेगुलेट किया है.

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Edited By: India Daily Live
Screen Time
Courtesy: Freepik

Screen Time: बच्चों का स्क्रीन टाइम कितना ज्यादा बढ़ गया है ये तो हम जानते ही हैं. बच्चों के टाइम को रेगुलेट करना या कंट्रोल करना बेहद जरूरी हो गया है क्योंकि यह एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. जहां पहले बच्चे बाहर जाकर खेलना पसंद करते थे, वहींं अब बच्चों को घर में टीवी या फोन की लत लग चुकी है. इस समस्या से निपटना बेहद जरूरी हो गया है और स्वीडन की हेल्थ एजेंसी ने ऐसा ही कुछ किया है.

बता दें कि स्वीडन की पब्लिक हेल्थ एजेंसी के नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य बच्चों या टीनएजर्स के स्क्रीन टाइम को कम करना है. यह एजेंसी इनके टीवी देखने या फोन देखने का समय कम करना चाहते हैं. किस वर्ष के बच्चे के लिए क्या लिमिट लगाई गई है, चलिए जानते हैं.

हर उम्र के बच्चे पर स्क्रीन टाइम की लिमिट होना जरूरी:

  • 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए सभी तरह का स्क्रीन टाइम बंद करना होगा.

  • 2 से 5 साल की उम्र के बच्चे: स्क्रीन टाइम प्रतिदिन एक घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

  • 6 से 12 साल की उम्र के बच्चे: स्क्रीन टाइम प्रतिदिन एक से दो घंटे तक सीमित होना चाहिए.

  • 13 से 18 साल की उम्र के टीनएजर्स: स्क्रीन टाइम प्रतिदिन दो से तीन घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

स्क्रीन टाइम है ग्लोबल चिंता:

यह पहल सिर्फ स्वीडन तक ही सीमित नहीं है. स्क्रीन टाइम ज्यादा होने की चिंता ग्लोबल है. उदाहरण के लिए, अमेरिका में, टीनएजर स्कूल के बाहर स्क्रीन पर प्रतिदिन 8 घंटे से ज्यादा समय बिताते हैं. भारत में, स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल डेवलपमेंट में देरी, मोटापा का कारण बनता है क्योंकि इसके चलते फिजिकल एक्टिविटी नहीं हो पाती है और इसे लत कहना भी गलत नहीं होगा. ऐसे में बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करना जरूरी है.