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India Daily

न तार न टावर, Starlink के साथ ऐसे मिलेगा कॉल और इंटरनेट का मजा

Satellite Internet: SpaceX की Starlink ने डायरेक्ट-टू-सेल सैटेलाइट कम्युनिकेशन तकनीक पेश किी है जिसकी मदद से फोन को सीधे सैटेलाइट से कनेक्ट किया जा सकेगा. यह नॉर्मल सेल टावरों की जरूरत को कम करता है और ऐसे क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी को बढ़ाता है जहां पर नेटवर्क कवरेज नहीं है. 

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Edited By: Shilpa Srivastava
Starlink
Courtesy: Freepik

Satellite Internet: SpaceX की Starlink ने हाल ही में अपनी नई डायरेक्ट-टू-सेल सैटेलाइट कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी की घोषणा की है. यह टेक्नोलॉजी स्मार्टफोन को सीधे Starlink सैटेलाइट से कनेक्ट करने में सक्षम है, जिससे ट्रेडिशनल सेल टावरों की जरूरत नहीं रहती है और उन इलाकों में भी कनेक्टिविटी मिलती है जहां नॉर्मल नेटवर्क कवरेज नहीं होता. इसके साथ ही, SpaceX ने यह भी घोषणा की है कि कई प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां इसके साथ सहयोग कर रही हैं. एलन मस्क ने इस लिस्ट की पुष्टि करते हुए एक पोस्ट भी रीपोस्ट की है.

Starlink अपने सैटेलाइट नेटवर्क को लगातार एक्सपेंड कर रहा है और इसने नए नए सैटेलाइट्स को तेजी से लॉन्च किया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, यूजर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया क्षेत्र में 250-350 Mbps की स्पीड का मजा ले रहे हैं जो फाइबर के 50-60 Mbps से कहीं ज्यादा है.

Starlink का डायरेक्ट-टू-सेल क्या है? 

यह टेक्नोलॉजी एक माइलस्टोन है क्योंकि यह स्मार्टफोन को सीधे सैटेलाइट से कनेक्ट करने में मदद करती है जिसके लिए ट्रेडिशनल सेल टावरों की जरूरत नहीं होती है. यह टेक्नोलॉजी उन इलाकों में भी आसान कम्यूनिकेशन सुनिश्चित करती है जहां नॉर्मल नेटवर्क कवरेज नहीं मिलता है. इस टेक्नोलॉजी का रोलआउट 2025 तक बड़े स्तर पर होने की उम्मीद है. 

बढ़ेगी मोबाइल कवरेज: 

डायरेक्ट-टू-सेल की टेक्नोलॉजी न केवल मोबाइल कवरेज को बढ़ाएगी, बल्कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) कनेक्टिविटी को भी इनेबल बनाएगी, जो कि टेर्रिस्टियल कवरेज के बाहर भी काम करेगा. इससे लाखों डिवाइसेज को ग्लोबल इंडस्ट्री में जोड़ा जाएगा. SpaceX का दावा है कि इस टेक्नोलॉजी के लिए कोई एक्स्ट्रा हार्डवेयर की जरूरत नहीं होगी. यह टेक्नोलॉजी यूजर्स को इमरजेंसी स्थितियों, ग्रामीण क्षेत्रों और यात्रा के दौरान कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, जहां आमतौर पर नेटवर्क की कोई कवरेज नहीं होती. आने वाले महीनों में Starlink सैटेलाइट्स के अगले-जेनरेशन मॉडल्स की शुरुआत से स्पीड 2Gbps से अधिक होने की उम्मीद है.