भारत में बढ़ रहा है सेमीकंडक्टर का मार्केट, 10 बिलियन से बढ़कर 15 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकती है कीमत

Semiconductor Industry: भारत में सेमीकंडक्टर का मार्केट काफी तेजी से फैला रहा है. इसके लिए जो 10 अरब डॉलर की सब्सिडी दी गई थी जो लगभग खत्म हो चुकी है. अब इसे 15 मिलियन डॉलर किए जाने की उम्मीद है. इसे लेकर क्या कुछ चल रहा है, ये हम आपको यहां बता रहे हैं.

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India Daily Live

Semiconductor Industry: भारत अपने सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए एक नए प्लान पर काम किया जा रहा है. इसका लक्ष्य अमेरिका, ताइवान और दक्षिण कोरिया की तरह चिप मैन्यूफैक्चरिंग में एक मुख्य प्लेयर बनना है. मौजूदा प्लान की बात करें तो इसमें 10 अरब डॉलर की सब्सिडी दी गई थी जो लगभग खत्म हो चुकी है. अब, सरकार कई बदलावों के साथ इस योजना का फेज 2 तैयार कर रही है. 

सेमीकंडक्टर की बढ़ी हुई फंडिंग में नए प्लान के तहत 15 बिलियन डॉलर की सब्सिडी दी जा सकती है. इसमें चिप्स बनाने के लिए जरूरी सामान और गैस के लिए वित्तीय सहायता शामिल होगी. सरकार चिप असेंबली और टेस्टिंग प्लांट्स के लिए सब्सिडी में बेसिक टेक्नोलॉजी के लिए 50% से 30% और एडवांस टेक्नोलॉजी के लिए 40% की कटौती करने की योजना बना रही है.

अभी तक क्या-क्या उपलब्धियां हासिल की जा चुकी हैं:

  • फैब्रिकेशन प्लांट: टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ताइवान की पावरचिप के साथ 11 बिलियन डॉलर का चिप बनाने वाला प्लांट बना रही है.

  • असेंबली प्लांट: माइक्रोन टेक्नोलॉजी (यूएस), टाटा ग्रुप और मुरुगप्पा ग्रुप की सीजी पावर (जापान की रेनेसा के साथ) भारत में असेंबली प्लांट बना रहे हैं. 

फ्यूचर में क्या-क्या बदलाव कर सकते हैं:

  • नए प्लान के तहत केवल पैकेजिंग और असेंबली के बजाय एडवांस मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट को बनाने पर भी फोकस किया जाएगा.

  • सरकार भारत में चिप टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने की लागत को कवर नहीं करने पर विचार कर रही है. 

  • चिप असेंबली के लिए जरूरी कंपोनेंट्स और सामान के लिए अतिरिक्त सहायता की जरूरत हो सकती है. 

क्या आ सकती हैं चुनौतियां:

  • कर्मचारियों की समस्या के चलते माइक्रोन का प्लांट 133 दिनों की देरी से चल रहा है.

  • टाटा ग्रुप कुछ जरूरतों से छूट चाहता है जिससे वो फिस्कल सपोर्ट कर सके. सरकार ने अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं दिया है. 

कुल मिलाकर, सरकार का लक्ष्य प्रमुख क्षेत्रों पर फोकस करना है और फाइनेंशियल सहायता बढ़ाकर भारत को चिप निर्माण के लिए एक कॉम्पेटीटर बनाना है.