Computer Based Test: साइबर क्रिमिनल्स शातिर होते हैं ये तो जाहिर है लेकिन बच्चों की एग्जाम से भी खिलवाड़ कर सकते हैं ये पिछले कुछ समय में साफ हो गया है. हाल ही में एक खबर सामने आई है जिसमें 18 जून 2024 को हुए NET UGC एग्जाम को रद्द कर दिया गया. बता दें कि 19 जून को UGC को इस एग्जाम को लेकर इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर की नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट (NCTAU) से कुछ इनपुट मिले थे जिसमें बताया गया था कि इस एग्जाम में कुछ गड़बड़ी हुई थी.
ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या ऑफलाइन टेस्ट में साइबर क्रिमिनल्स ज्यादा एक्टिव हो गए हैं. हालांकि, देखा जाए तो शीट्स को चेंज कर देना आसान काम नहीं है. लेकिन फिर भी ऐसा किया जा रहा है. इसे लेकर एक और सवाल यह भी आता है कि क्या ऑफलाइन टेस्ट के बजाय कंप्यूटर बेस्ट टेस्ट यानी CBT ज्यादा सिक्योर हैं. देखा जाए तो CBT ज्यादा सिक्योर होता है लेकिन सभी की अपनी-अपनी कमियां भी होती हैं. तो सबसे पहले तो ये जानते हैं कि कंप्यूटर बेस्ट टेस्ट सेफ होते क्या हैं.
पहला तो ये कि ये डिजिटल फॉर्मट में होता है और सवाल-जवाब दोनों ही कंप्यूटर स्क्रीन पर होते हैं. जवाब को माउस, कीबोर्ड या टचस्क्रीन के जरिए डाला जाता है. इस दौरान सिक्योर ब्राउजर का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें चीटिंग करने की गुंजाइश नहीं रहती है. ऐसे में CBT ऑफलाइन टेस्ट से ज्यादा सुरक्षित कहे जा सकते हैं.
हालांकि, यह जरूरी नहीं कि ऑनलाइन टेस्ट में कोई धांधली नहीं हो सकती है. साइबर क्रिमिनल्स इतने ज्यादा शातिर हो चुके हैं कि ऐसा कोई काम नहीं हैं जो वो नहीं कर पाते. लोगों के फोन में घुसकर उनकी निजी फोटो-वीडियो तक चुरा लेते हैं तो टेस्ट की कॉपीज बदलना तो उनके बाएं हाथ का खेल है. हां, अगर सरकार कोई ऐसा सिस्टम ले आए जिसमें हैकर्स का घुस पाना नामुमकिन हो जाए तो CBT एग्जाम से बेहतर और कुछ नहीं रह जाएगा.
ऑनलाइन पेपर लीक होने की संभावना कई बातों पर निर्भर करती है. इसमें सिक्योरिटी मेजर, साइबर क्रिमिनल्स उस पेपर को लीक करना चाहते हैं या नहीं और जो पेपर प्रोटेक्ट किया जा रहा है वो कितना जरूरी है जैसी चीजें शामिल हैं. हैकर्स के पास कई तरीके होते हैं जिनसे वो इस काम को अंजाम दे सकते हैं लेकिन अगर सरकार चाहे तो इस तरह के अटैक को रोक सकती है.
एन्क्रिप्शन: अगर ऑनलाइन पेपर के दौरान डाटा एनक्रिप्शन को बेहतर तरह से इस्तेमाल किया जाए तो लीक की संभावना कम हो जाती है.
एक्सेस कंट्रोल: सेंसिटिव पेपर का एक्सेस केवल उन लोगों को ही देना चाहिए जो ऑथराइज्ड हैं. इससे सीमित लोग ही पेपर को एक्सेस कर पाएंगे और लीक की संभावना कम हो जाएगी.
मॉनीटरिंग और ऑडिटिंग: एक्सेस लॉग की रेगुलर निगरानी और ऑडिटिंग करनी चाहिए जिससे संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाया जा सके.