वन नेशन वन इलेक्शन के बाद वन नेशन वन टाइम... जानें मोदी सरकार क्यों करने जा रही है इतना बड़ा बदलाव?
One Nation, One Time: वन नेशन वन इलेक्शन तो आपने सुना होगा लेकिन क्या आपने वन नेशन वन टाइम के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो यहां हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं कि यह क्या है और इसे कैसा लागू किया जाएगा.
One Nation, One Time: ये तो हम सभी जानते हैं कि भारत का समय इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (IST) पर आधारित होता है, लेकिन असल समय जीपीएस सैटेलाइट्स द्वारा निर्धारित किया जाता है, जो मिलीसेकंड तक सटीक होता है और इसे कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (UTC) से जोड़ा जाता है. हालांकि, अगले कुछ महीनों में यह स्थिति पूरी तरह से बदल सकती है, क्योंकि अब भारत का अपना नेविगेशन सिस्टम NavIC (नेविगेशन विद इंडियन कंस्टीलेशन), का इस्तेमाल किया जाएगा.
NavIC समय को नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी (NPL) से जोड़ेगा, जो समय को बेहद एक्यूरेट तरीके से चार सेंटर्स- अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर और गुवाहाटी- तक पहुंचाएगा. इन सेंटर्स में एटॉमिक वॉचेज इंस्टॉल की जाएंगी जिससे डिजिटल वॉचेज, स्मार्टफोन और लैपटॉप्स पर दिखने वाला समय अब एटॉमिक वॉचेज पर आधारित होगा.
यह सिस्टम वन नेशन वन टाइम के प्रिंसिपल को लागू करेगी जिससे पूरे देश में एक एक्यूरेट और एक जैसे समय का पालन किया जाएगा.
कैसी है प्रोजक्ट की तैयारी?
यह सैटेलाइट सिस्टम कश्मीर युद्ध के बाद शुरू की गई थी, जब भारत को फॉरेन सैटेलाइट्स से टारगेट की एक्यूरेट लोकेशन मिल नहीं पाई थी. सरकार ने तब महसूस किया कि यह रणनीतिक महत्व रखता है और इसके बाद इस प्रोजेक्ट पर करीब 7 साल पहले काम शुरू हुआ था. कंज्यूमर अफेयर्स सेक्रेटरी निधि खरे ने कहा कि टाइम डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट का ज्यादातर काम पूरा हो चुका है, और एटॉमिक वॉचेज फरीदाबाद, अहमदाबाद, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में इंस्टॉल की जा चुकी हैं.
कुछ महीने पहले, NavIC और NPL फरीदाबाद के बीच लिंक का टेस्ट भी किया गया था. अब चार सेंटर्स के समय को फरीदाबाद के साथ मिलाने का काम किया जा रहा है. चलिए जानते हैं कि एटॉमिक वॉच क्या होती है.
एटॉमिक वॉच क्या होती है?
एटॉमिक वॉच एक ऐसी घड़ी है जो अपनी एकदम एक्यूरेट टाइम के लिए जानी जाती है. यह एटम्स की स्पेसिफिक रेजोनेंस फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल कर काम करती है. इन वॉचेज की एक्यूरेसी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये हर 100 मिलियन साल में केवल एक सेकंड मिस करती है.
इस प्रोजेक्ट के क्या होंगे बेनिफिट्स:
पूर्व कंज्यूमर अफेयर्स सेक्रेटरी रोहित कुमार सिंह ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से भारत का अपना एक्यूरेट और रिलाएबल टाइम डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क स्थापित होगा, जिससे फॉरेन सिस्टम्स पर निर्भरता कम होगी और नेशनल सिक्योरिटी में भी वृद्धि होगी. यह पावर ग्रिड, टेलीकम्युनिकेशन्स, बैंकिंग, रक्षा और परिवहन जैसे जरूरी सेक्टर्स में कोआर्डिनेशन, एफिशिएंसी और साइबर सिक्योरिटी से सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
प्रोजेक्ट को लागू कैसे किया जाएगा?
इस प्रोजेक्ट को लेकर टेक्निकल काम अभी जारी है, जबकि डिपार्टमेंट ऑफ कंस्यूमर अफेयर्स ने ड्राफ्ट नियमों को अधिसूचित किया है. इसमें पूरे देश में कानूनी, एडमिनिस्ट्रेटिव, कमर्शियल और आधिकारिक डॉक्यूमेंट्स के लिए IST को एकमात्र टाइम रेफरेंस में इस्तेमाल करने का प्रावधान है. हालांकि, एस्ट्रोनॉमी, नेविगेशन एंड साइंटिफिक रिसर्च जैसे स्पेशल सेक्टर्स के लिए अपवाद होंगे जिनके लिए सरकार को क्षेत्रों के लिए अपवाद होंगे, जिनके लिए सरकार से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी, और नियमों का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान होगा.
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