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India Daily

16 दिन तक डिजिटल अरेस्ट, 3.17 करोड़ की चपत… नोएडा में हुआ बड़ा स्कैम

Money Laundering Scam: नोएडा में डिजिटल अरेस्ट का एक मामला सामने आया है जिसमें 77 साल के एक व्यक्ति को 26 फरवरी से 12 मार्च तक 16 दिनों के लिए डिजिटल अरेस्ट किया गया था. 

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Edited By: Shilpa Srivastava
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Courtesy: Freepik

Money Laundering Scam: नोएडा में डिजिटल अरेस्ट का एक मामला सामने आया है जिसमें 77 साल के एक व्यक्ति को 26 फरवरी से 12 मार्च तक 16 दिनों के लिए डिजिटल अरेस्ट किया गया था. इन्हें मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में फंसाया गया जो कि पूरी तरह से फर्जी था. इस दौरान व्यक्ति के 3.14 करोड़ रुपये लूट लिए गए. पुलिस ने बताया कि साइबर क्राइम ब्रांच थाने में बुधवार दोपहर चार अज्ञात संदिग्धों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया. 

पुलिस ने बताया कि व्यक्ति एक सरकारी बीमा कंपनी के बोर्ड से रिटायर्ड है और सेक्टर 75 में रहता है. उसके बच्चे विदेश में रहते हैं. पुलिस को बताते हुए व्यक्ति ने बतया कि 25 फरवरी को उन्हें एक अननोन नंबर से कॉल आया जिसमें उससे एक फोन नंबर के बारे में पूछा गया. व्यक्ति ने कॉल करने वाले से कहा कि उसने याद नहीं है कि यह उनका नंबर है या नहीं क्योंकि पुराना नंबर काफी पहले खो चुका था. 

मनी लॉन्ड्रिंग और इन्वेस्टमेंट स्कैम के नाम पर फंसाया गया: 

जब व्यक्ति ने कॉल करने का कारण पूछा, तो कॉल करने वाले ने उनका नाम वेरिफाई किया और कहा कि उनके खिलाफ मुंबई के एक पुलिस स्टेशन में मनी लॉन्ड्रिंग और इन्वेस्टमेंट स्कैम से सबंधित शिकायत दर्ज की गई है. साइबर स्कैमर ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए व्यक्ति को पूछताछ के लिए मुंबई पुलिस के सामने पेश होने के लिए कहा. जब व्यक्ति ने कहा कि वह एक वरिष्ठ नागरिक है, तो साइबर क्रिमिनल ने कहा कि वह मामले को ऑनलाइन संभाल लेगा. इसके लिए व्यक्ति को 26 फरवरी को भारत के मुख्य न्यायाधीश के सामने वीडियो कॉल पर उपस्थित होने का निर्देश दिया. 

फाइनेंशियल डिटेल्स के बारे में की पूछताछ:

साइबर क्राइम ब्रांच के स्टेशन हाउस ऑफिसर रंजीत सिंह ने कहा कि पुलिस और CBI के अधिकारी बनकर साइबर क्रिमिनल्स ने पीड़ित की सभी फाइनेंशियल डिटेल्स के बारे में पूछताछ की और उसे निर्देश दिया कि वह किसी को इस बारे में न बताए क्योंकि यह नेशनल सिक्योरिटी का मामला है. एफआईआर में व्यक्ति ने बताया कि 26 फरवरी से 12 मार्च तक उनकी पत्नी और उन्हें कैमरों की कड़ी निगरानी में रखा गया. साथ ही व्यक्ति ने रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) के जरिए साइबर क्रिमिनल्स को 3,14,59,966 रुपये ट्रांसफर किए. 

साइबर क्रिमिनल्स ने उनसे कहा कि एक हफ्ते की जांच के बाद पैसे वापस कर दिए जाएंगे, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ, तो उन्हें एहसास हुआ कि वो जाल में फंस गए हैं. इसके बाद उन्होंने पुलिस को इस बात की जानकारी दी. साइबर क्राइम ब्रांच में भारतीय न्याय संहिता की धारा 308 (2) (जबरन वसूली), 319 (2) (पहचान करके धोखाधड़ी) और 318 (4) (धोखाधड़ी) और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया.