China CCTV Camera: चीन की टूटेगी कमर, CCTV कैमरों के जरिए भारत करेगा वार, नए नियम से बाजार में खलबली!
China CCTV Camera: भारत सरकार जल्द ही सीसीटीवी कैमरा को लेकर नए नियम ला सकती है. इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार 8 अक्टूबर को सीसीटीवी कैमरा को लेकर नया कानून ला सकती है.
China CCTV Camera: इजरायल द्वारा हिजबुल्लाह पर किए गए पेजर अटैक के बाद अब भारत सरकार ने चीनी कैमरों पर नकेल कसने के लिए नए सीसीटीवी नियमों को लागू करने की योजना बना रही है. लेबनान में हुए पेजर अटैक के बाद अब भारत सरकार कथित तौर पर देश में चीन निर्मित निगरानी उपकरणों के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए तैयार है.
सूत्रों ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि सरकार निगरानी बाजार में स्थानीय विक्रेताओं के पक्ष में दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए तैयार है. पेजर विस्फोटों के मद्देनजर, सरकार आपूर्ति के कुछ घटकों या भागों की महत्वपूर्ण सोर्सिंग पर बारीकी से नजर रखेगी."
चीनी कंपनियों का खेल होगा खत्म, भारतीय कंपनियों को होगा फायदा
8 अक्टूबर को संभवत भारत सरकार नए सीसीटीवी नियम लागू कर सकती है. इस कदम से भारतयी कंपनियों को लाभा होगा. चीनी कैमरा कंपनियों को तगड़ा झटका लगेगा. अभी भारत में चीनी कैमरा कंपनियों का ही बोलबाला है.
इस साल मार्च और अप्रैल में राजपत्र अधिसूचनाएँ जारी की गई थीं, सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इसके कार्यान्वयन में तेजी लाई है और लेबनान विस्फोटों के मद्देनजर सुरक्षा पर अपना ध्यान केंद्रित किया है. नए नियमों के तहत विश्वसनीय कंपनियों को ही भारत में कैमरे बेचने की अनुमति मिलेगी.
बाजार में चीनी कंपनियों का 60 फीसदी कब्जा
काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसंधान विश्लेषक वरुण गुप्ता के अनुसार, "वर्तमान में, सीपी प्लस, हिकविजन और दहुआ भारत में 60% से अधिक बाजार पर नियंत्रण रखते हैं. सीपी प्लस भारत की कंपनी है, जबकि हिकविजन और दहुआ चीन की कंपनी है. अब इन कंपनियों को कैमरा बनाने में और भी सावधानी बरतनी होगी. रिसर्च एंड डेवलपमेंट की ओर इन कंपनियों को दोगुना ध्यान देना होगा.
अमेरिका पहले ही लगा चुका है बैन
अमेरिका चीनी की कैमरा कंपनियों को पहले ही देश के लिए खतरा बता चुकी है. फेडरल कम्यूनिकेशन कमीशन को चिंता है कि चीनी उपकरणों का इस्तेमाल अमेरिका की जासूसी करने के लिए कर सकता है. जानकार लोगों ने यह भी बताया कि हाल ही में भारत सरकार चीनी सीसीटीवी उपकरण निविदाओं को खारिज कर रही है और बॉश जैसी यूरोपीय कंपनियों को प्राथमिकता दे रही है.