Digital Arrest: हाल के वर्षों में, हम सभी डिजिटल तौर पर कितने ज्यादा मजबूत हुए हैं ये बताने की जरूरत नहीं है.हालांकि, जब हम किसी काम या सेक्टर में बेहतर होने लगते हैं तो वो कई बार खतरनाक रूप भी ले लेता है.अरे नहीं नहीं, हम ये नहीं कह रहे हैं कि आप कुछ गलत करते हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में आपके साथ गलत हो जाता है.अब जिस तरह से तकनीक का इस्तेमाल आप कर रहे हैं, उसी तरह से स्कैमर्स भी तकनीकों को लेकर अपडेटेड रहते हैं.
साइबर क्रिमिनल्स, डिजिटल प्लेटफार्मों का इस्तेमाल कर हैकिंग, आइडेंटिटी थेफ्ट, ऑनलाइन स्कैम और साइबरबुलिंग जैसी एक्टिविटीज कर रहे हैं जिससे लोगों को फाइनेंशियल के साथ-साथ मेंटल नुकसान भी हो सकता है.इसके जवाब में, सरकार ने साइबर क्रिमिनल्स के खतरों और उनसे बचाव के तरीकों के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए कई तरह की पहल की हैं.लेकिन फिर भी लोग इस तरह के स्कैम के जाल में फंस जाते हैं.इसी को लेकर लर्निंग स्पायरल एआई के फाउंडर और नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के डीन का क्या कहना है, चलिए जानते हैं.
मनीष मोहता ने कहा, "भारत में डिजिटल टेक्नोलॉजी के तेजी से विकास ने साइबर क्रिमिनल्स और डिजिटल अरेस्ट में चौंकाने वाली बढ़ोतरी की है जो इस सेक्टर में समझ और तैयारी की गंभीर कमी को उजागर करता है.ये क्रिमिनल्स आइडेंटिटी थेफ्ट, हैकिंहग, ऑनलाइन स्कैम और साइबरबुलिंग जैसी एक्टिविटी के लिए तेजी से ऑनलाइन स्पेस का इस्तेमाल कर रहे हैं.जैसे-जैसे भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ रही है, वैसे-वैसे ये जोखिम भी बढ़ रहे हैं, यह दिखाते हुए कि साइबर क्राइम अब कुछ लोगों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली एक बड़ी समस्या बन गई है.बढ़ते डिजिटल क्राइम्स के मद्देनजर, भारत सरकार ने डिजिटल लिट्रेसी और सुरक्षित ऑनलाइन व्हेवियर को बढ़ावा देने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं.सरकार चाहती है कि लोगों को साइबर क्राइम के बचने की पूरी जानकारी हो जिससे वो खुद को बचा सकें.
साइबर क्राइम आज के दौर में डिजिटल प्रॉपर्टीज और निजी डिटेल्स के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है.नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, डिजिटल अरेस्ट के लिए अलग से कोई रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन इसे अन्य साइबर क्राइमों के साथ मिलाकर दर्ज किया जाता है.भारत के संविधान के तहत पुलिस और पब्लिक ऑर्डर राज्य का विषय है, इसलिए नॉर्मल और साइबर क्राइमों को रोकने की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की होती है।
भारत सरकार की लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियां, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फाइनेंशियल हेल्प और सलाह देकर साइबर क्राइम और डिजिटल अरेस्ट से निपटने में मदद करती हैं.इस दिशा में गृह मंत्रालय ने भारतीय साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (I4C) बनाया है.सरकार लगातार न्यूज चैनल्स, टीवी एडवर्टाइजमेंट, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और प्रसार भारती के जरिए साइबर क्राइम जागरूकता अभियान चला रही है.अब तक 1700 से ज्यादा स्काइप आईडी और 59000 से ज्यादा व्हाट्सएप अकाउंट्स को ब्लॉक किया गया है.इसके अलावा, सरकार ने नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in) लॉन्च किया है, जहां लोग किसी भी साइबर क्राइम की रिपोर्ट कर सकते हैं।