How Google Search Works: क्या कभी आपने ये सोचा है कि आप गूगल से जो भी पूछते हैं वो उसका जवाब कहां से देता है? शायद नहीं सोचा होगा. अब आपको तो आपका जवाब मिल जाता है तो बाकी बातों का ध्यान क्या ही देना. लेकिन कई बार जानना जरूरी हो जाता है कि जो जानकारी आपको मिल रही है उसे ढूंढकर आपके पास तक पहुंचने में गूगल को कितनी मेहनत करनी पड़ती है. यहां हम आपको इस पूरे प्रोसेस के बारे में बता रहे हैं.
Google वेब को सही तरह से ब्राउज करने और वेब पेजों के बारे में जानकारी इक्ट्ठा करने के लिए वेब क्रॉलर (या स्पाइडर) का इस्तेमाल करता है. क्रॉलर एक पेज से दूसरे पेज पर लिंक को फॉलो करते हैं और हर पेज का डाटा इक्ट्ठा करते हैं. फिर इस डाटा को एक बड़े डाटाबेस में इंडेक्स किया जाता है जो गूगल को यूजर्स के सवाला का तुरंत जवाब देने में मदद करता है.
Google सर्च क्वेरी का सही जवाब देने और वेब पेजों को रैंक करने के लिए कठिन एल्गोरिदम का इस्तेमाल करता है. इस एल्गोरिदम में कई बातों का ख्याल रखा जाता है जिनमें कीवर्ड, पेज की क्वालिटी, फ्रेशनेस, यूजर्स इंगेजमेंट और बहुत कुछ शामिल हैं. चलिए जानते हैं इनमें क्या-क्या शामिल हैं.
पेजरैंक: किसी पेज की क्वालिटी और क्वांटिटी को चेक करना.
कंटेंट एनालिसिस: पेज का कंटेंट सही तरह चेक किया जाता है और यह देखा जाता है कि सर्च क्वेरी से पेज का कंटेंट कितना मैच करता है.
यूजर कॉन्टेक्स्ट: सही रिजल्ट देने के लिए यूजर की लोकेशन, सर्च हिस्ट्री और प्रेफरेंसेज को ध्यान में रखा जाता है.
सर्च क्षमता को बढ़ाने के लिए Google लर्निंग मॉडल्स और AI का इस्तेमाल करता है. इससे सर्च रिजल्ट की एक्यूरेसी और रेलेवेंसी बेहतर हो जाती है.
रैंकब्रेन: यह एक मशीन लर्निंग-आधारित एल्गोरिदम जो मुश्किल सवालों के पीछे कम का मतलब समझने और सर्च रिजल्ट को बेहतर करने पर काम करता है.
BERT (बायडायरेक्शनल एनकोडर रिप्रेजेंटेशन्स फ्रॉम ट्रांसफॉर्मर्स): यह एक डीप लर्निंग एल्गोरिदम है जो गूगल की सर्च क्वेरी में शब्दों का मतलब समझने में मदद करता है.
Google का नॉलेज ग्राफ का एक डेटाबेस है. यह Google को तथ्यात्मक प्रश्नों के सीधे उत्तर देने की अनुमति देता है.
कुछ क्वेरी के लिए, Google सर्च रिजल्ट के टॉप पर फीचर्ड स्निपेट दिया गया होता है. ये वेब पेजों से निकाले गए जवाब का स्निपेट होता है जो यूजर्स के सवाल का सीधा जवाब होता है.
Google Assistant जैसे डिवाइस के जरिए वॉयस सर्च के बढ़ने के साथ, Google ने नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) में काफी निवेश किया है. NLP Google को बोली जाने वाली भाषा को समझने और प्रोसेस करने की अनुमति देता है, जिससे वॉयस क्वेरी के सटीक जवाब मिलते हैं.
Google अपने सर्च एल्गोरिदम को बेहतर बनाने के लिए लगातार यूजर्स से फीडबैक इक्ट्ठा करता है. क्लिक-थ्रू रेट्स, यूजर बिहेवियर और दूसरे मीट्रिक को एनालाइज कर गूगल समय के साथ अपने रिजल्ट्स को बेहतर बनाता है.
Google मल्टी मॉडल सर्च क्षमताओं को इंटीग्रेट कर रहा है, जिससे यूजर्स टेक्स्ट इमेज और यहां तक कि उन्हें मिलाकर भी कुछ सर्च कर सकते हैं.