TRAI Message Traceability System Deadline: टेलिकॉम अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने टेलीकॉम ऑपरेटरों को कमर्शियल मैसेजेज के जनरेशन का पता लगाने के लिए सिस्टम लागू करने की तारीख बढ़ा दी है. पहले यह सिस्टम 1 नवंबर 2024 से लागू होना था, लेकिन टेलीकॉम कंपनियों ने कुछ दिक्कतों के बारे में चिंता जताई थी जिसके बाद इसे 1 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया था. वहीं, अब TRAI ने 10 दिन और बढ़ाते हुए 10 दिसंबर 2024 तक यह सिस्टम लागू करने के लिए कहा है. यह कदम स्पैम, धोखाधड़ी और साइबर अपराध को रोकने के लिए उठाया गया है.
TRAI का क्या कहना है: TRAI के अनुसार, अब तक 27,000 से ज्यादा प्रमुख संस्थाओं (PEs) ने अपनी कम्यूनिकेशन सीरीज को रजिस्टर कर लिया है और रजिस्ट्रेशन प्रोसेस तेजी से चल रहा है. साथ ही, TRAI ने बताया कि टेलीकॉम ऑपरेटर उन प्रमुख संस्थाओं (PEs) और टेलीमार्केटर्स को चेतावनी जारी कर रहे हैं जिन्होंने अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं किया है.
TRAI ने यह भी साफ तौर पर कहा है कि 11 दिसंबर 2024 से, कोई भी मैसेज जो बिना प्री-डिफाइन्ड टेलीमार्केटर्स सीरीज के भेजा जाएगा, उसे रिजेक्ट कर दिया जाएगा. TRAI ने प्रमुख संस्थाओं और टेलीमार्केटर्स से अपील की है कि वे अपनी कम्यूनिकेशन सीरीज की घोषणा जल्द से जल्द करें जिससे उनके मैसेजेज को रिजेक्ट न किया जाए जो ट्रेसबिलिटी नियमों का पालन नहीं करते.
भारत में रोजाना लगभग 1.5 से 1.7 बिलियन कमर्शियल मैसेज भेजे जाते हैं जिससे यह सुनिश्चित करना अहम हो जाता है कि सभी मसैजेज को सोर्स ट्रैक किया जा सके. अगर रजिस्ट्रेशन नहीं होने वाले मैसेज को रोका जाता है, तो यह बड़े पैमाने पर मुश्किल का कारण बन सकता है. इसे ध्यान में रखते हुए टेलीकॉम ऑपरेटरों ने टेलीमार्केटर्स और प्रमुख संस्थाओं को हर दिन रिपोर्ट भेजने का वादा किया है, जिससे नियमों का पालन करने में कोई समस्या न हो सके.
इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल सर्टिफाइड और रजिस्टर्ड मैसेज ही यूजर्स तक पहुंचे, जिससे स्पैम और धोखाधड़ी की घटनाओं को कम किया जा सके.