Google Tips: गूगल के इन्कॉग्निटो मोड को लेकर अक्सर यह भ्रम होता है कि यह पूरी तरह से आपकी ब्राउजिंग एक्टिविटीज को गायब कर देता है, लेकिन असल में ऐसा नहीं है. अगर आपको भी ये गलतफहमी है तो इसे दूर कर देते हैं. इन्कॉग्निटो मोड में अगर आप ब्राउजिंग करते हैं तो इसे प्राइवेट रखता है लेकिन यह पूरी तरह से आपकी ब्राउजिंग हिस्ट्री को छुपाता नहीं है. इन्कॉग्निटो मोड की क्या लिमिटेशन्स हैं, इसके बारे में कम लोगों को पता है. अगर आप नहीं जानते हैं, तो चलिए आपको बताते हैं.
इसकी लिमिटेशन्स जानने से पहले हम आपको बता दें कि अगर आप इंटरनेट पर पूरी तरह से गुमनाम रहना चाहते हैं, तो आपको वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) या अन्य सिक्योरिटी मेजर्स का इस्तेमाल करना होगा.
ब्राउजर हिस्ट्री: इन्कॉग्निटो मोड में ब्राउजिंग हिस्ट्री, कुकीज और साइट डाटा आपके ब्राउजर में सेव नहीं होते हैं, लेकिन यह हिस्ट्री आपके डिवाइस पर ही नहीं बल्कि आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP), या नेटवर्क पर हो सकता है.
नेटवर्क रिकॉर्ड्स: अगर आप किसी पब्लिक या ऑफिस नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर आपके ब्राउजिंग एक्टिविटी को ट्रैक कर सकते हैं.
गूगल अकाउंट लॉगइन: अगर आप गूगल अकाउंट में लॉगइन करते हैं, तो आपकी एक्टिविट गूगल द्वारा ट्रैक की जा सकती है, क्योंकि गूगल इन्कॉग्निटो मोड में भी आपकी एक्टिविटी को लिंक कर सकता है.
इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP): आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) के पास भी आपकी इंटरनेट एक्टिविटी का रिकॉर्ड हो सकता है, चाहे आप इन्कॉग्निटो मोड में क्यों न हों.
सिक्योरिटी और प्राइवेसी: इन्कॉग्निटो मोड केवल आपके ब्राउजर के लेवल पर प्राइवेसी बढ़ाता है और पर्सनल कंप्यूटर या डिवाइस पर आपकी एक्टिविटीज गतिविधियों को बचाता है. यह आपको साइटों द्वारा ट्रैक किए जाने से नहीं बचाता, जैसे कि वेबसाइट्स आपकी आईपी ऐड्रेस या अन्य जानकारी के आधार पर आपको ट्रैक कर सकती हैं.