Google Chrome OS High Risk Warning: कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) ने Google ChromeOS यूजर्स के लिए एक बार फिर से चेतावनी जारी की है. सरकार ने हाई-रिस्क वॉर्निंग दी है जिसमें कहा गया है कि ChromeOS में कई कमजोरियां मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल हैकर्स यूजर्स के सिस्टम में मनमान कोड डालने के लिए करते हैं. बता दें कि CERT-In इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन काम करता है.
इससे पहले भी Google ChromeOS यूजर्स को सरकार ने चेतावनी दी थी. काफी समय से गूगल क्रोम के साथ यह दिक्कत आ रही है. ऐसे में अब कंपनी को इस पर एक्शन लेने की जरूरत है. सॉफ्टवेयर अपडेट तो कंपनी देती ही है लेकिन इन कमजोरियों के लूपहोल को दूर करना भी बेहद जरूरी है.
1 जुलाई को सरकार ने कहा कि ChromeOS के लिए LTS चैनल में कई कमजोरियां पाई गई हैं, जिनका इस्तेमाल हैकर्स टारगेटेड सिस्टम में मनमाना कोड डालने के लिए करते हैं. 120.0.6099.315 (प्लेटफॉर्म वर्जन: 15662.112) से पहले के Google ChromeOS वर्जनों के लिए LTS चैनल प्रभावित हुए हैं.
साथ ही यह भी कहा है कि ये कमजोरियां Google Chrome OS में WebRTC में हीप बफर ओवरफ्लो और फ्री मीडिया सेशन के इस्तेमाल होने के चलते आई हैं. इसमें कहा गया है कि हैकर्स, यूजर्स को खास तरह से तैयार किए गए वेब पोजों पर जाने के लिए राजी कर रहे हैं और फिर इसका फायदा उठा रहे हैं.
CERT-In ने यूजर्स को सलाह दी है कि उन्हें Google के अपडेट को लागू कर देना चाहिए. कंपनी ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि LTS-120 को ज्यादातर ChromeOS डिवाइस के लिए LTS (लॉन्ग टर्म सपोर्ट) चैनल, वर्जन 120.0.6099.315 (प्लेटफॉर्म वर्जन: 15662.112) में अपडेट किया जा रहा है. ऐसे में अपडेट दोनों यानी WebRTC में हीप बफर ओवरफ्लो और फ्री मीडिया सेशन के इस्तेमाल होने के चलते आई समस्याओं के लिए फिक्स करेगा.