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India Daily

भारत में स्टारलिंक इंटरनेट की एंट्री, क्या 5G से होगा सस्ता?

स्टारलिंक में लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट का उपयोग किया जाता है, जो पारंपरिक जियोस्टेशनरी सैटेलाइट की तुलना में धरती के अधिक करीब होते हैं, जिससे तेज़ इंटरनेट स्पीड और कम लेटेंसी मिलती है.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Starlink
Courtesy: Social Media

भारत में डिजिटल क्रांति के बढ़ते कदमों के बीच अब सैटेलाइट इंटरनेट भी दस्तक देने को तैयार है. एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की इंटरनेट सेवा स्टारलिंक जल्द ही भारतीय बाजार में उपलब्ध हो सकती है. इसके लिए टेलीकॉम कंपनियां जियो और एयरटेल स्टारलिंक के साथ साझेदारी करने जा रही हैं. हालांकि, इस सेवा को शुरू करने के लिए अभी कुछ सरकारी मंज़ूरियाँ मिलनी बाकी हैं.  आइए समझते हैं कि सैटेलाइट इंटरनेट क्या है, यह कैसे काम करता है और भारत में इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है.  

सैटेलाइट इंटरनेट क्या है?
 
सैटेलाइट इंटरनेट एक ऐसी तकनीक है, जिसमें इंटरनेट सेवा उपग्रहों के माध्यम से प्रदान की जाती है. पारंपरिक ब्रॉडबैंड या मोबाइल नेटवर्क के विपरीत, जहां इंटरनेट कनेक्शन के लिए फाइबर ऑप्टिक केबल या टॉवर की आवश्यकता होती है सैटेलाइट इंटरनेट में सिग्नल सीधे उपग्रहों से प्राप्त होता है.  

यह कैसे काम करता है?  
1. सिग्नल ट्रांसमिशन: जब कोई उपयोगकर्ता इंटरनेट एक्सेस करता है, तो उसका अनुरोध सबसे पहले एक ग्राउंड स्टेशन पर जाता है.  
2. सैटेलाइट से कनेक्शन: ग्राउंड स्टेशन यह सिग्नल पृथ्वी की कक्षा में स्थित सैटेलाइट को भेजता है.  
3. डेटा रिसीविंग: सैटेलाइट यह डेटा प्रोसेस करके उपयोगकर्ता के डिवाइस तक इंटरनेट सिग्नल पहुंचाता है.  

स्टारलिंक में  लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट का उपयोग किया जाता है, जो पारंपरिक जियोस्टेशनरी सैटेलाइट की तुलना में धरती के अधिक करीब होते हैं, जिससे तेज़ इंटरनेट स्पीड और कम लेटेंसी मिलती है.  
 

स्टारलिंक इंटरनेट के फायदे  

 दूर-दराज़ क्षेत्रों में कनेक्टिविटी  
भारत में कई ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में अभी भी तेज़ इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या बनी हुई है. स्टारलिंक बिना किसी फाइबर नेटवर्क के दूरस्थ स्थानों में भी उच्च गति का इंटरनेट प्रदान कर सकता है.  

तेज़ स्पीड और कम लेटेंसी 
स्टारलिंक का दावा है कि यह 100Mbps से 1Gbps तक की स्पीड प्रदान कर सकता है. इसकी लेटेंसी 20-40ms तक हो सकती है, जो ऑनलाइन गेमिंग और वीडियो कॉलिंग जैसी सेवाओं के लिए बेहतरीन साबित होगी.  

क्या यह 5G से सस्ता होगा? 

स्टारलिंक की शुरुआती कीमत भारत में अधिक हो सकती है क्योंकि इसमें उपयोगकर्ताओं को एक विशेष डिश और राउटर खरीदना होगा, जिसकी कीमत लगभग ₹40,000-₹50,000 हो सकती है. इसके अलावा,महीने का प्लान ₹2,000-₹3,000 के आसपास हो सकता है. वहीं, 5G इंटरनेट अपेक्षाकृत सस्ता है और शहरी क्षेत्रों में इसकी उपलब्धता भी अधिक है. इसलिए, भारत में फिलहाल 5G और ब्रॉडबैंड की तुलना में सैटेलाइट इंटरनेट महंगा साबित हो सकता है.