Cyber Crime News: आप जब भी इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे होते हैं उस दौरान सबसे ज्यादा डर साइबर अपराधियों से होता है. यह डर होना वाजिब भी है क्योंकि वे आपकी पर्सनल जानकारी चुरा सकते हैं, आपका अकाउंट हैक कर सकते हैं,आपकी इज्जत और प्रतिष्ठा को बर्बाद कर सकते हैं. तकनीक के इस्तेमाल के साथ-साथ हमारे सामने नई-नई चुनौतियां भी पैदा हो रही हैं. साइबर अपराधी इनका इस्तेमाल कर आपकी जीवनभर की कमाई पल भर में बर्बाद कर देते हैं.
हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में एआई और डीपफेक आधारित गलत सूचना तंत्र का बड़े पैमाने पर प्रभाव दिखाई दिया. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2020 से 15 मई 2023 के बीच गुजरात में इंटरनेट यूजर्स ने 1.59 लाख साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज कराईं. यानी प्रत्येक 7.5 मिनट में एक यूजर साइबर अपराधियों का शिकार हुआ है. इस दौरान यूजर्स ने कई प्रकार के साइबर क्राइम का सामना किया जिससे उन्हें पैसों और इज्जत दोनों से हाथ धोना पड़ा. इस लेख में हम साइबर क्राइम के उन तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें साइबर अपराधी धोखाधड़ी करने में इस्तेमाल करते हैं.
साइबर अपराधों से बचने का एक साधारण सा उपाय है जागरुक रहने का, उनसे आगे रहने का और होशियार रहने का.कुल मिलाकर लब्बोलुआब इतना सा है कि साइबर अपराध से आपको जो चीज बचा सकती है वह है जागरुकता. इंटरनेट का इस्तेमाल करते समय आपको सबसे ज्यादा अवेयर रहने की जरूरत है. ऐसा होने पर आप साइबर अपराधियों की जद से काफी दूर रहेंगे. साइबर अपराधी लोगों को धोखा देने के लिए जिन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, अब बात उसके बारे में.
AI कॉल: साइबर अपराधी अब लोगों की वॉयस का इस्तेमाल धोखाधड़ी में कर रहे हैं. इस दौरान पीड़ित को इमरजेंसी कॉल आती है जिसमें यह दावा किया जाता है कि वह किसी बड़ी मुसीबत में फंस गया है उसे इससे बचने के लिए बड़ी रकम चाहिए. इस दौरान परिजनों से पीड़ित को बचाने के लिए बड़ी रकम भेजने को कहा जाता है.
Power Calls: इस तरह की धोखाधड़ी में साइबर अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पीड़ितों के परिजनों से पैसा ऐंठने का प्रयास करते हैं. वे पीड़ितों को फेल बिल भेजते हैं और उन्हें उसका भुगतान करने के लिए कहते हैं. ऐसा ना करने पर उन्हें उनका कनेक्शन काटने की धमकी दी जाती है.
ID स्कैम: साइबर अपराधी विभिन्न सरकारी योजनाओं में का लाभ ले रहे लोगों के दस्तावेज एजेंट्स के जरिए प्राप्त कर लेते हैं. इन डॉक्यूमेंट्स की मदद से वे लोगों को धोखा देने के लिए सिम कार्ड खरीदते हैं. इसके बाद वे लोगों को फेक कॉल्स करते हैं.
डीपफेक: डीपफेक वीडियो AI टूल के माध्यम से बनाए जाते हैं जो चेहरे की नकल करते हैं. इसमें किसी व्यक्ति के पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो फुटेज को समझने के बाद उसके चेहरे के भाव को किसी अन्य शख्स पर एआई फेस स्वैप टूल के जरिए लागू कर दिया जाता है.
कस्टम-एरी कॉल: कस्टम अधिकारी बनकर ठगी करने वाले लोगों को फोन करके बताते हैं कि उनके नाम का एक पार्सल मिला है जिसमें ड्रग्स हैं. वे जाली सीबीआई पत्र भी भेजते हैं और मामले को निपटाने के लिए पीड़ित को वीडियो कॉल करते हैं. हालांकि कुछ दिन पहले इस पर वित्त मंत्रालय ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह भी दी थी.
सिम क्लोनिंग: जालसाज किसी फोन के डेटा तक पहुँच प्राप्त करते हैं और कई तरीकों से उसका क्लोन बनाते हैं. इसके लिए वे सिम स्कैनर का यूज करते हैं. यह एक छोटा सा उपकरण है जो कम दूरी से फोन को स्कैन करने में सक्षम बनाता है. इसके माध्यम से आपके जालसाजी का शिकार हो जाते हैं.
फार्मिंग: एक प्रकार का हमला जिसमें पीड़ितों को धोखाधड़ी वाली वेबसाइटों पर जाने के लिए कहा जाता है. इसमें साइबर अपराधी संवेदनशील जानकारी एकत्र करने के लिए पीड़ितों के कंप्यूटर सिस्टम में हेरफेर करते हैं. किसी भी लिंक पर क्लिक करते समय बहुत सावधान रहें.
क्रिप्टो धोखाधड़ी: फेक क्रिप्टोकरेंसी बनाने वाले गिरोह USDT व्यापारियों की नकली प्रोफ़ाइल बनाते हैं और लोगों को बाजार मूल्य से आधी कीमत पर USDT क्रिप्टोकरेंसी बेचने का प्रस्ताव देकर धोखा देते हैं. एक बार जब पीड़ित अपना पैसा निवेश कर देते हैं तब कॉल करने वाले संपर्क से बाहर हो जाते हैं.
धोखाधड़ी के लिए तस्करी : सिंडिकेट युवाओं को विदेश में नौकरी दिलाने के झूठे वादे करते हैं, खास तौर पर कंबोडिया लाओस और गोल्डन ट्राइंगल स्पेशल इकोनॉमिक जोन में और फिर उन्हें कॉल सेंटर में काम करने के लिए मजबूर करते हैं.
सेक्सटॉर्शन: साइबर अपराधी अपने न्यूड रूप के स्क्रीनशॉट क्लिक करते हैं उन पर पीड़ितों के फेस का इस्तेमाल कर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं. इसमें महिलाएं भी शामिल हैं.