हैकर्स के इस पैंतरे के आगे आखिर कैसे पुलिस भी हो जाती है फेल? 

IP Address Hack: आईपी एड्रेस को हैक कैसे कर लिया जाता है और इस तरह के केस में पुलिस किस तरह से फेल हो जाती है, चलिए जानते हैं साइबर क्राइम एक्सपर्ट से. 

Shilpa Srivastava

IP Address Hack: साइबर क्राइम को एक ऐसा धंधा कहा जा सकता है जिसमें हैकर्स की लगातर चांदी हो रही है. सिर्फ फायदा ही नहीं बल्कि हर दिन इतने नए-नए तरीके इजाद किए जा रहे हैं जो इस चांदी को सोने के फायदे में बदल देते हैं. वैसे तो आपने कई साइबर फ्रॉड, मैलवेयर्स आदि के किस्से सुने होंगे, लेकिन आज हम एक कॉमन मुद्दे पर के बारे में आपको बता रहे हैं जिसे पुलिस भी सॉल्व नहीं कर पाई है. 

IP एड्रेस के बारे में तो आप जानते ही होंगे? अगर नहीं जानते हैं तो बता दें कि IP एड्रेस एक ऐसा यूनीक एड्रेस होता है जो किसी डिवाइस को इंटरनेट या लोकल नेटवर्क पर पहचानने में काम आता है. इसकी फुल फॉर्म इंटरनेट प्रोटोकॉल है. आपको सुनने में ये थोड़ा नॉर्मल लग रहा होगा लेकिन अगर ये किसी हैकर के हाथ लग जाए तो वो आपकी हर ऑनलाइन एक्टिविटी को ट्रैक कर सकता है. 

IP हैक होने से क्या नुकसान हो सकते हैं: 
हैकर्स आपके IP एड्रेस को हैक कर आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रख सकते हैं. साथ ही आपकी डिवाइस में टारगेटेड ऐड्स भेज सकते हैं, गेम्स और वेबसाइट्स को बैन करना और DDoS यानी डिस्ट्रीब्यूटेड डिनाइयल ऑफ सर्विसेज अटैक को अंजाम दे सकते हैं. आपके नाम से साइबरक्राइम को भी अंजाम दे सकते हैं. DDoS अटैक ऐसी मालिशस एक्टिविटी है जो किसी डिवाइस पर बहुत ज्यादा इंटरनेट ट्रैफिक को मोड़ देती है जिससे फोन या सिस्टम हैंग या लैग होना शुरू हो जाता है. इससे डिवाइस फ्रीज भी हो जाती है. 

क्या सिर्फ IP एड्रेस हैक कर ही हैक हो सकती है डिवाइस: 
बता दें कि सिर्फ आपके IP एड्रेस को हैक करके ही आपकी डिवाइस को पूरी तरह हैक नहीं किया जा सकता है. लेकिन इसके जरिए हैकर्स आपके होम नेटवर्क को कॉम्प्रोमाइज कर सकते हैं. अगर हैकर्स ऐसा कर लेते हैं तो वो आपकी डिवाइस में मैलवेयर को इंस्टॉल कर सकते हैं और फिर आपकी डिवाइस का फुल एक्सेस हासिल कर सकते हैं. 

क्या है करते हैं इस डाटा का: 
सिर्फ IP एड्रेस का कोई मोल नहीं होता है लेकिन अगर आपके IP एड्रेस के साथ आपका नाम, लोकेशन, सोशल मीडिया डिटेल्स को डार्क वेब पर सेल किया जाए तो हैकर्स बड़ा हाथ मार सकते हैं. इस तरह की हैकिंग से कैसे बचा जा सकता है ये हम आपको यहां बताएंगे लेकिन इससे पहले साइम क्राइम के मामलों के एक्सपर्ट और एडवोकेट विशाल अरुण मिश्रा से जानते हैं कि आखिर IP एड्रेस को कैसे हैक किया जाता है और पुलिस इस पर कुछ क्यों नहीं कर पा रही है?

इस पूरे मामले को लेकर विशाल अरुण मिश्रा ने कहा, “IP एड्रेस को कैसें हैक किया जाता है ये एक टेक्नीकल मामला है और इसके कई तरीके हो सकते हैं. हैकर्स कई तरह से फ्रॉड करते हैं जिनके बारे में जब तक जनता समझ पाती है उनके साथ फ्रॉड हो जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम सभी की निर्भरता सोशल मीडिया या इंटरनेट पर बहुत ज्यादा हो चुकी है जो कई बार काफी खतरनाक साबित हो जाता है. फोन चलाते-चलाते कई बार कोई विज्ञापन आ जाता है जिस पर हम भले ही गलती से लेकिन क्लिक कर देते हैं. ऐसा करते ही डिवाइस का (एक्सेस ज्यादातर मामलों में) हैकर्स के पास चला जाता है और वो आपकी सारी डिटेल्स चुरा लेते हैं. वहीं, कई बार डिवाइस में मैलवेयर इंस्टॉल कर डिवाइस का एक्सेस ही ले लेते हैं. जहां तक बात रही पुलिस की तो पुलिस इस तरह के फ्रॉड्स को पकड़ने के लिए कई बार एक साथ 60 से 70 लोगों को इंटेरोगेट करते हैं लेकिन इनका नेटवर्क इतना बड़ा हो चुका है कि इन्हें पकड़ना बेहद मुश्किल हो गया है.”

इन तरीकों से रहें सुरक्षित: 

  • फायरवॉल अपडेट करें: फायवॉल हमें प्रोटेक्ट करने के लिए होते हैं तो इन्हें आपको अपडेट रखना होगा. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो सिक्योरिटी पैच और अपडेट मिस हो सकते हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है. 

  • सिक्योर पासवर्ड: हमेशा सुनिश्चित करें कि आपके अकाउंट या डिवाइस पर सिक्योर पासवर्ड ही लगा हो जिसे फोर्स अटैक से भी न तोड़ा जा सके. 

  • VPN का इस्तेमाल करें: यह एक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क है जो आपकी इंटरनेट एक्टिविटी को एक से ज्यादा सर्वर पर राउट कर देता है. यह आपको एक नया IP एड्रेस देता है और आपका पर्सनल IP एड्रेस चुरा देता है. 

  • प्राइवेसी सेटिंग को अपडेट करें: अगर आप कोई ऐसी सर्विस इस्तेमाल कर रहे हैं जो आपकी प्राइवेस सर्विस इक्ट्ठा कर रही है तो आपको अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स को चेक करना होगा. इस तरह की सर्विस को आप सेटिंग में जाकर ऑप्ट आउट भी कर सकते हैं.